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रहमतों व बरकतों के झोंकों से मालामाल का महीना है रमजान

मुजफ्फरपुर: रमजानुल मुबारक एक मौसमे बहार है. इसमें रहमतों व बरकतों के झोंके चलते हैं. खुदा अपने बख्शीषों व मगफिरतों की बारीश अकिदतमंदों पर नाजिल फरमाता है. सआदतों की बारिश झूम-झूम कर बंदे पर बरसती रहती है. महेश स्थान मसजिद के इमाम हाफिज वसीउर्ररहमान ने यह फरमाया. उन्होंने कहा कि वर्ष के बारह महीने में […]

मुजफ्फरपुर: रमजानुल मुबारक एक मौसमे बहार है. इसमें रहमतों व बरकतों के झोंके चलते हैं. खुदा अपने बख्शीषों व मगफिरतों की बारीश अकिदतमंदों पर नाजिल फरमाता है. सआदतों की बारिश झूम-झूम कर बंदे पर बरसती रहती है. महेश स्थान मसजिद के इमाम हाफिज वसीउर्ररहमान ने यह फरमाया.
उन्होंने कहा कि वर्ष के बारह महीने में रमजान का महीना अफजल वाला माना गया है. यह अकीदतमंदों के लिए मौसमे बहार और गुनहगारों के लिए छुटकारा व माफी का महीना है. हदीस पाक में भी रमजान को अल्लाह का महीना कहा गया है. रमजान का महीना खुशनसीब इंसान के लिए अपने दामन को रहमतों से समेटने का बेहतरीन मौका है. इसे किसी हाल में गंवाना नहीं चाहिए.

रमजान के महीने की खासियत यह है कि इस पाक माह में अल्लाह की किताब कुरआने करीम बंदों पर नाजिल हुई. इससे पहले बाकी तीन आसमानी किताबें तौरेद, जबुर, इंजील भी इसी पाक माह में नाजिल हुई थी. माहे रमजान के आते ही दोजख के दरवाजे बंद हो जाते हैं. जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं. शैतान जंजीर से बांध दिये जाते हैं. रमजान के माह में खुदा ने रोजे को मोमिन पर फर्ज व तरावीह को नफील करार दिया है. रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला हिस्सा रहमत, दूसरा हिस्सा मगफिरत व आखिरी हिस्सा दोजख से आजादी का है. पैगंबर सलल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया की खुदा मोमिनों पर इस माह में रहमते नाजिल फरमाता है. इंसान की खताओं को माफ फरमाता है. उसके दुआओं को कबूल करता है.

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