अदा की गयी दूसरे जुमे की नमाज

मुजफ्फरपुर/औराई:कुरान में बताया गया है कि रोजे की बुनियादी इनसानों में तकवा पैदा हो जाये. खुदा कुरान में साफ फरमाया है कि ए ईमान वालों तुम पर रोजे फर्ज किये गये, जैसे फर्ज किये गये थे तुम से पहले वाले लोगों पर ताकि तुम परहेजगार बन जाओ. उक्त बातें जुमा के खुतबा के दौरान हाफिज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2016 7:26 AM
मुजफ्फरपुर/औराई:कुरान में बताया गया है कि रोजे की बुनियादी इनसानों में तकवा पैदा हो जाये. खुदा कुरान में साफ फरमाया है कि ए ईमान वालों तुम पर रोजे फर्ज किये गये, जैसे फर्ज किये गये थे तुम से पहले वाले लोगों पर ताकि तुम परहेजगार बन जाओ. उक्त बातें जुमा के खुतबा के दौरान हाफिज सरफराज अख्तर ने महेश स्थान के नूरी मसजिद में खुतबा के दौरान कही. उन्होंने बताया कि रमजान करीम का महीना रहमत, बरकत और निजात का महीना है.

खुशनसीब हैं वे लोग जिन्हें यह माहे मुबारक नसीब होता है, ताकि उन्हें रोजे रखने की सआदत हासिल कर लेता है. नबीये करीम हजरत मोहम्मद ने फरमाया की रोजा मोमीनों के लिए ढाल है. उन्होंने उम्मत से दो टूक लहजे में कहा कि रोजे के दौरान कोई झगड़ा न करे. अगर जबरन उलझे तो बोल दो कि मैं रोजे से हूं. हदीस में आया है कि जो इनसान झूठी बात व झूटे अमल को तर्क न करे तो खुदा को उसके खाना-पीना छोड़ने व रोजे से कोई दिलचस्पी नहीं है. नबी करीम ने फरमाया कि बहुत से रोजेदार एेसे हैं. उको दिन भर भूखा प्यासा रहने के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होता है. बहुत से रातों में जागने वाले एेसे हैं जिन्हें बेख्वाबी के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता है. इन हदीसों से साफ है कि जो इनसान रोजा रखकर हर किस्म की बुराइयां अनताम देगा.

गरीबों का हक अदा के बाद करें इफ्तार व सेहरी
मनियारी. रमजान का दूसरा असरा मगफिरत का असरा है, रमजान गमख्वारी का महीना है. इसमें गरीबों का ख्याल रखना है. वो सब्र का असरा भी है, सेहरी वो इफ्तार में गरीबों का हक अदा कर दें फिर खुद इफ्तार वो सेहरी करें. खुद का वो अपने माल वो दौलत जायदाद का सदका वक्त से पहले करे, ताकि गरीब वो मिसकीन की समय से वो पैसा काम आ जाए, इस्लाम एक एेसा मजहब है इसमें खास ताकिद की गई है कि जब तुम सदका निकालो तो इस इंतजार में मत रहो कि असल गरीब तुम तक मांगने आयेंगे. क्योंकि गुरबत में होते हुए भी उन्हें शर्म आती है किसी के सामने हाथ फैलाने में. सही जरूरतमंद को जकात वो फितरा नहीं मिलकर बाजारू वो पेशेवर को आप दे देते हैं तो वो आपके किसी काम का नहीं बल्कि आपने उसे पानी मे फेंक दिया.
इसलिए ध्यान रखें कि वक्त पे अपने आस पास में जरूरतमंद को वक्त पर जकात वो फितरा दें. ताकि उनका काम भी हम सब के घर की तरह उनके वक्त पर हो जाये. वो उनके बच्चे हमारे और आपके बच्चे के साथ ईद की खुशियां मना सकें.

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