घटनाओं में शामिल साथियों के नाम भी बताये

पटना से पहुंची एसआइटी व एसटीएफ ने भी की पूछताछ पांच घंटे तक पटना टीम ने की पूछताछ – बहेड़ी की हाजत में की गयी पूछताछ शिवहर के डीएसपी भी थे मौजूद सिविल सर्जन ललिता सिंह लेंगी वीआरएस मुजफ्फरपुर : सिविल सजर्न (सीएस) डॉ ललिता सिंह सहित अन्य तीन डॉक्टर वीआरएस लेंगे. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2016 2:06 AM

पटना से पहुंची एसआइटी व एसटीएफ ने भी की पूछताछ

पांच घंटे तक पटना टीम ने की पूछताछ

– बहेड़ी की हाजत में की गयी पूछताछ

शिवहर के डीएसपी भी थे मौजूद

सिविल सर्जन ललिता सिंह लेंगी वीआरएस

मुजफ्फरपुर : सिविल सजर्न (सीएस) डॉ ललिता सिंह सहित अन्य तीन डॉक्टर वीआरएस लेंगे. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने तो मुख्यालय को आवेदन भी भेज दिया है. वो आवेदन स्वीकार किये जाने का इंतजार कर रहे हैं.

सीएस व अन्य दो डॉक्टरों ने वीआरएस लेने का मन बना लिया है. सूत्रों की मानें तो कांटी प्रभारी डॉ अरुण कुमार व सदर अस्पताल में नियुक्त डॉ हरेंद्र कुमार आलोक इसके लिए मुख्यालय को लिखनेवाले हैं. इन सभी की सेवानिवृत्ति का समय अब तीन से पांच साल तक है. सभी पदाधिकारी जिले की व्यवस्था से क्षुब्ध हैं. नेताओं का दबदबा, पैरवीकारों की लाइन व मातहतों का निर्देश नहीं मानने संबंधी कारणों से इनलोगों ने वीआरएस का इरादा किया है.

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार कहते हैं कि जिले में काम

सिविल सर्जन ललिता

कराना मुश्किल है. मैंने तो आवेदन दे दिया है. देखें कब तक राज्य स्वास्थ्य समिति स्वीकृत करती है. उन्होंने कहा कि यहां पर जिस तरह का दबाव है. इससे पहले ऐसा पहले नहीं महसूस किया.

सीएस डॉ ललिता सिंह को इस बात का मलाल है कि मातहत अधिकारी व कर्मचारी उनकी नहीं सुनते हैं. जो निर्देश दिये जाते हैं. बार-बार कहने के बाद भी उनका पालन नहीं होता है. जननी बाल सुरक्षा में प्रधान सचिव का कड़ा निर्देश है. इसके बाद भी गायघाट ब्लाक में राशि का बैकलॉग चल रहा है. पीएचसी से दवाओं की कमी की अद्यतन रिपोर्ट नहीं भेजी जाती. मुख्यालय के बार-बार निर्देश के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों से पियक्कड़ों को इलाज के लिए नशामुक्ति केंद्र नहीं भेजा जा रहा है, न ही ऐसे मरीजों को रेफर किया जा रहा है.

बताया जाता है कि सरकार की ओर से जो योजनाएं चल रही हैं. उनका ग्रामीण इलाकों में ठीक से पालन नहीं होता है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव जब भी इन योजनाओं की समीक्षा करते हैं, तो काम नहीं पूरा होने को लेकर सीएस को जिम्मेवार ठहराते हैं. स्वास्थ्य विभाग की सबसे बड़ी अधिकारी होने के नाते उनकी जिम्मेवारी भी बनती है, लेकिन जिस तरह से स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से काम में असहयोग किया जा रहा है, सीएस उससे नाराज बतायी जाती हैं. उनका मानना है कि ऐसी स्थिति में अच्छा काम नहीं हो सकता है.

दो अन्य डॉक्टर भी देंगे आवेदन

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने मुख्यालय भेजा आवेदन

दो अन्य डॉक्टर भी वीआरएस लेने की तैयारी में

कांटी पीएचसी के प्रभारी भी लेंगे समय से पहले रिटायरमेंट

विभागीय कार्य संस्कृति से अधिकारियों को हो रही परेशानी

डॉक्टरों ने कहा, मुजफ्फरपुर में काम कराना मुश्किल

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