एसआइएस के क्षेत्रीय प्रबंधक निलंबित

मुजफ्फरपुर: एटीएम में कैश लोड के दौरान 3.52 करोड़ का गबन मामले में एसआइएस के क्षेत्रीय प्रबंधक दीपक कुमार आलोक पर गाज गिरी है. लापरवाही बरतने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया है. उनका कार्यालय पटना में है. पटना में रह कर मुजफ्फरपुर शाखा के निरीक्षण की जिम्मेवारी उन्हीं की थी. एसआइएस कंपनी के कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2014 9:08 AM

मुजफ्फरपुर: एटीएम में कैश लोड के दौरान 3.52 करोड़ का गबन मामले में एसआइएस के क्षेत्रीय प्रबंधक दीपक कुमार आलोक पर गाज गिरी है. लापरवाही बरतने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया है.

उनका कार्यालय पटना में है. पटना में रह कर मुजफ्फरपुर शाखा के निरीक्षण की जिम्मेवारी उन्हीं की थी. एसआइएस कंपनी के कई वरीय अधिकारियों ने एसएसपी से मिल कर जांच में तेजी लाने का अनुरोध किया है.

उनका कहना है कि कुणाल ही पूरे मामले का मास्टर माइंड है. पर पूछताछ में वह सहयोग नहीं कर रहा है. उसके इशारे पर ही कस्टोडियन अमरेंद्र सिंह व सूरज सिंह शहर छोड़ कर फरार हो गये. फरवरी 2013 से ही कैश लोड के दौरान गबन किया जा रहा था, लेकिन अप्रैल में बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में भी मामला पकड़ में नहीं आया. मामले में बैंक व उनके स्तर पर भी लापरवाही बरती गयी है. पूरे प्रकरण में एटीएम के लिए कैश देने वाले बैंक कर्मी की भूमिका संदिग्ध है. बिना पूरे कागजात लिए कैसे लाखों रुपये एटीएम में लोड करने के लिए दिया जा रहा था. जिस एटीएम में पांच से छह लाख रुपये लोड किये जाते थे, वहां पर 25 लाख-25 लाख रुपया दिया गया है.

कुणाल के पास एक करोड़ की संपत्ति : एसआइएस कंपनी की मुजफ्फरपुर शाखा के प्रभारी कुणाल रंजन के पास लगभग एक करोड़ की संपत्ति का पता चला है. उसने एक साल के अंदर बैरिया आदर्श ग्राम में जमीन खरीद कर दो मंजिला मकान बनाया है. गांव में भी शानदार मकान है. पुलिस ने उसके नाम से सफारी गाड़ी व बाइक जब्त किया है. वहीं उसके दो बैंक एकाउंट में लगभग पांच लाख रुपये जमा मिले हैं, जिसे फ्रिज कर दिया गया है. जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अब तक कुल संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये आंकी गयी है.

पूछताछ की वीडियोग्राफी : रिमांड अवधि के दौरान कुणाल से एसआइएस टीम के साथ पटना से आयी विशेष टीम ने भी पूछताछ की है. इसकी वीडियोग्राफी भी करायी गयी है. वहीं जिला पुलिस की तीन विशेष टीम ने अलग-अलग तरीके से 100 से अधिक सवाल किये. एक ही तरीके के सवाल को कई तरीके से पूछे जाने पर वह पुलिस के जाल में उलझ गया. पूछताछ के बाद सीजेएम के आदेश पर पुलिस ने उसका एलवीए (लेयर्ड वॉयस एनालाइसिस) टेस्ट भी कराया है. पुलिस का कहना है, वह तकनीकी रूप से भी काफी जानकार है. उसके निर्देश पर ही कस्टोडियन अमरेंद्र सिंह व सूरज सिंह गबन के घटना को अंजाम देते थे.

पुलिस ने कुणाल को भेजा जेल : रिमांड अवधि के पांच दिन बाद ही पुलिस ने कुणाल को जेल भेज दिया है. इससे पूर्व उसका मेडिकल चेकअप भी कराया गया. देर शाम सीजेएम कोर्ट में उसकी पेशी की गयी. कोर्ट को बताया गया कि कुणाल के सात दिन का रिमांड मिला था. लेकिन पूछताछ पांच दिन में ही कर ली गयी.

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