19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शहीद पार्क बनाने का भी दिया प्रस्ताव

खुदीराम को नमन करने मिदनापुर से पहुंचे प्रकाश मुजफ्फरपुर : शहीद खुदीराम बोस की शहादत दिवस के मौके पर शामिल होने के लिए शहीद के जिले मिदनापुर से प्रकाश हलधर दो मित्रों के साथ शहर पहुंचे. वे सेंट्रल जेल में फांसी स्थल पर होने वाले समारोह में शामिल होंगे. श्री हलधर पिछले दस वर्षों से […]

खुदीराम को नमन करने मिदनापुर से पहुंचे प्रकाश

मुजफ्फरपुर : शहीद खुदीराम बोस की शहादत दिवस के मौके पर शामिल होने के लिए शहीद के जिले मिदनापुर से प्रकाश हलधर दो मित्रों के साथ शहर पहुंचे. वे सेंट्रल जेल में फांसी स्थल पर होने वाले समारोह में शामिल होंगे. श्री हलधर पिछले दस वर्षों से नियमित 10 अगस्त को मुजफ्फरपुर आकर 11 की सुबह 3.50 में शहीद की शहादत दिवस के मौके पर उनका नमन कर रहे हैं. मिदनापुर में स्कूल चलाने वाले प्रकाश कहते हैं कि खुदीराम बोस की शहादत हमारे लिए गर्व की बात है. मिदनापुर में तो प्रत्येक घरों में सुबह उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. हर घर में एक दीप जलाकर अहले सुबह शहीद को याद किया जाता है. श्री प्रकाश ने कहा कि वे जब तक जीवित रहेंगे हर वर्ष यहां आते रहेंगे.
खुदीराम ने जलायी थी आजादी की मशाल
खुदीराम बोस भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के गैर समझौतावादी धारा के जांबाज सिपाही थे. इनका जन्म 3 दिसंबर 1889 को बंगाल के मिदनापुर जिले स्थित मौबनी गांव में हुआ था. जन्म के छह साल बाद इनकी माता का देहांत हो गया. एक साल बाद पिता भी चल बसे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा बहन-बहनोई की छत्रछाया में हुयी. देश को विदेशी दासता से मुक्त करने का कर्तव्य बोध उनमें बचपन से ही पैदा हो गया था.
उस समय जाने-माने क्रांतिकारी सत्येंद्र नाथ वसु ने खुदीराम की क्षमता का पहचान लिया था. उन्होंने किशोर को
संगठन अनुशीलन समिति में शामिल कर लिया. उस समय किंग्सफोर्ड कोलकाता का प्रसीडेंसी मजिस्ट्रेट हुआ करता था. वह राष्ट्रवादी नेता को कठोरतम दंड देने व राष्ट्रवादी समाचार पत्रों को दमन के लिए कुख्यात माना जाता था. क्रांतिकारी संगइन युगांतर ने इस आततायी मजिस्ट्रेट के लिए मौत की सजा का फरमान जारी कर दिया.
क्रांतिकािरयों के संभावित हमले को देखते हुए किंग्सफोर्ड का तबादला मुजफ्फरपुर कर दिया गया. उसे मारने के लिए खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी को एक बम व पिस्तौल देकर मुजफ्फरपुर विदा किया गया.
खुदीराम दुर्गा प्रसाद व
प्रफुल्ल चाकी दिनेश के छद्म नाम से मोतीझील स्थित पुरानी
धर्मशाला में ठहरे. दोनों ने एक सप्ताह तक किंग्सफोर्ड की गतिविधियों पर नजर रखा. 30 अप्रैल 1908 को मुजफ्फरपुर क्लब के पास दोनों किंग्सफोर्ड के आने का इंतजार कर रहे थे. शाम आठ बजे एक विक्टोरियन बग्धी उस रास्ते गुजरी. दोनों ने बम
चला कर उसके परखच्चे उड़ा
दिये. लेकिन उस बग्घी में किंग्सफोर्ड नहीं बैरिस्टर कैनेडी
की पत्नी व बेटी थी, जो
मारी गयी.
दोनों क्रांतिकारी रेलवे लाइन के रास्ते पूसा की ओर गये. लेकिन पुलिस की नजर से नहीं बच सके. खुदीराम गिरफ्तार हो गये. 13 जून, 1908 को उन्हें फांसी की सजा सुनायी गयी. 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में उन्हें फांसी दी गयी.
प्रस्तुति : ब्रह्मानंद ठाकुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें