अधिकारी मौके पर पहुंचे तो स्थिति विकराल रूप ले चुका था. पानी का धार इतना तेज था कि 30 फुट में तटबंध बह गया. इसका पानी दिघरा गांव, दिघरा रामपुर साह, धीरनपट्टी छपरा, बेला औद्योगिक क्षेत्र में पानी जाने का खतरा बढ़ गया है. इस गांव में फसल को नुकसान होने की संभावना है. तटबंध मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है. पानी का बहाव बंद कराने के लिए खरौना में कार्यपालक अभियंता तैनात कर दिये गये हैं. वैशाली की ओर पानी को छोड़ा जायेगा.
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बाढ़ की आशंका: नहर की 1800 क्यूसेक की है क्षमता, आसपास के इलाके में अफरा-तफरी
मुशहरी : प्रखंड के दिघरा गांव में सोमवार करीब 10 बजे दिन में तिरहुत नहर का तटबंध आरडी संख्या 74 पर बह गया. तटबंध टूटने के साथ ही पानी के बहाव से इस गांव में बसे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गयी. लोग भागकर तटबंध पर हालात को देखने पहुंचे, स्थिति को देख जल संसाधन […]
मुशहरी : प्रखंड के दिघरा गांव में सोमवार करीब 10 बजे दिन में तिरहुत नहर का तटबंध आरडी संख्या 74 पर बह गया. तटबंध टूटने के साथ ही पानी के बहाव से इस गांव में बसे लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गयी. लोग भागकर तटबंध पर हालात को देखने पहुंचे, स्थिति को देख जल संसाधन विभाग को इसकी जानकारी दी.
काम की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो. ग्रामीणों का आरोप है कि तिरहुत नहर के समतलीकरण और मिट्टी भराई ठीक ढंग से ही हो सका. तटबंध के जीर्णोद्धार में लगी नागार्जुन कंपनी व इसके पेटी कॉन्ट्रैक्टरों ने कमजोर तटबंध का निर्माण किया. इस कारण बार-बार यह टूट रहा है. इसकी उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जरूरत है. इस नहर पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं.
नहर में नहीं आता क्षमता भर पानी, सिंचाई मुश्किल . क्षमता निर्माण के लिए जितना पैसा खर्च हुआ, उस हिसाब से नहर में पानी नहीं दिया जाता है. लोगों को इस नहर से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है. स्थानीय मुखिया ब्रजमोहन तिवारी का आरोप है कि जल संसाधन विभाग की अनियमितता से नहर का तटबंध टूटा है. जिस रफ़्तार से पानी का बह रहा है रात भर में लोगों के घरों में भी पानी घुस जायेगा. मौके पर अभियंता आये थे और आश्वासन दिये चल दिये. तटबंध की मरम्मति के बारे में कुछ नहीं कहा. जानकारी हो कि वर्ष 2013, 2014 में भी तटबंध दिघरा गांव में टूटा था. जिसमें ग्रामीणों के घर में पानी घुस गया था. तत्कालीन राजस्व मंत्री की घोषणा के बाद भी किसी को राहत नहीं मिली.
चार वर्षों में बना था तटबंध, गुणवत्ता पर सवाल . तिरहुत नहर के जीर्णोद्धार में करीब चार वर्ष लगे थे. 2010 से लेकर जून 2014 तक जीर्णोद्धार हुआ था. वाल्मीकि नगर से लेकर मुशहरी के आगे महमदपुर गांव तक इसका जीर्णोद्धार हुआ. इस पर करीब 700 कराेड़ रुपये लागत आयी थी. पॉलीथिन बिछाकर कमजोर ईंट से ढाल दिया गया. तटबंध की गुणवत्ता के संबंध में सभी अधिकारी संवेदकों को एनओसी देते हैं, लेकिन यह तटबंध कम पानी के बहाव से ही टूट जाता है.
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