मुजफ्फरपुर: जैव परिवर्धित (जीएम) तकनीकी असुरक्षित है. यह पर्यावरण एवं प्राणियों पर प्रतिकूल असर डालता है. केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इकाई जीईएसी भारत में एक बार फिर जीएम बीज को बढ़ावा देने जा रहा है. जबकि यह पूरी तरह से फसलों के उत्पादन को जहरीला बना देगा. राष्ट्रीय किसान स्वराज गठबंधन […]
मुजफ्फरपुर: जैव परिवर्धित (जीएम) तकनीकी असुरक्षित है. यह पर्यावरण एवं प्राणियों पर प्रतिकूल असर डालता है. केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इकाई जीईएसी भारत में एक बार फिर जीएम बीज को बढ़ावा देने जा रहा है. जबकि यह पूरी तरह से फसलों के उत्पादन को जहरीला बना देगा. राष्ट्रीय किसान स्वराज गठबंधन की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता कुरूगंटी ने ये बातें कहीं. वे आरडीएस कॉलेज एवं राष्ट्रीय किसान स्वराज गठबंधन की ओर से शुक्रवार को जीएम फसलों की नई चुनौतियों एवं खाद्य सुरक्षा विषयक सेमिनार के उद्घाटन के बाद बाेल रही थीं.
विशिष्ट अतिथि एवं राष्ट्रीय जैविक कृषि संगठन के महासचिव कपिल शाह ने पावर प्वाइंट प्रदर्शन के माध्यम से जीएम तकनीक के दुष्प्रभाव को समझाया. उन्होंने कहा कि जीएम तकनीक जीवित प्राणियों को पैदा करने का एक आप्राकृतिक तरीका है, जो सटीक नहीं है. इस बात का सबूत कई वैज्ञानिकों के पास है. संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा को छोड़कर लगभग सभी विकसित देशों ने खेती में जीएम उत्पादों के प्रयोग को खारिज कर दिया है.
राष्ट्रीय सह संयोजक पकंज भूषण ने कहा कि दिनों-दिन हमारे भोजन की थाली जहरीली होती जा रही है. हमें खाद्य सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए. देश में प्रयोग होने वाले उवर्रक एवं कीटनाशक का 18 प्रतशित उपयोग सिर्फ पंजाब में हो रहा है. वहां देश के छह प्रतिशत लोग रहते है. इससे काफी नुकसान हो रहा है.
बीआरए बिहार विवि के वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ संतोष कुमार ने कहा कि आज तकनीक की वजह से सरोगेट मदर के जरिये महिलाओं को बच्चा मिल रहा है. इस दिशा में और शोध की जरूरत है. अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य डॉ सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसी कोई तकनीक लागू नहीं होने देना चाहिए, जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि बिहार में इसे न लागू होने दिया जाए.
इस मौके पर डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ बलराम यादव, डॉ चिंतामणि ठाकुर, डॉ सत्येंद्र ठाकुर, डॉ एसके पाॅल, डॉ दयानंद शर्मा, डॉ पकंज कुमार, डॉ अनीता घोष, डॉ संजय कुमार, डॉ प्रदीप कुमार चौधरी, डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ श्याम बाबू शर्मा आदि मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन वनस्पति विज्ञान के एचओडी डॉ निरजा अस्थाना ने किया.