शक्ति की आराधना आज से, भक्तों में उत्साह

मुजफ्फरपुर: देवी की आराधना का पर्व शनिवार को शुरू होगा. पूजा की तैयारियों में शुक्रवार को लोग जुटे रहे. पंडालों का निर्माण तेजी से चल रहा है. देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी आकार लेने लगी हैं. हर ओर उत्सवी माहौल है. पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल रही. पूजा को लेकर घरों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2016 7:53 AM
मुजफ्फरपुर: देवी की आराधना का पर्व शनिवार को शुरू होगा. पूजा की तैयारियों में शुक्रवार को लोग जुटे रहे. पंडालों का निर्माण तेजी से चल रहा है. देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी आकार लेने लगी हैं. हर ओर उत्सवी माहौल है. पूजा सामग्री की खरीदारी को लेकर बाजारों में चहल-पहल रही. पूजा को लेकर घरों की विशेष साफ-सफाई की गयी है.
पूजा की कोई सामग्री छूट न जाये इसकी निगरानी होती रही. मंदिरों व पूजा पंडालों से लेकर घरों व दुकानों में कलश स्थापन की तैयारी की जा रही है. हालांकि बिना कलश स्थापन के भी श्रद्धालु माता की भक्ति में जुटेंगे. नवरात्र में दुर्गा सप्तशती पाठ का तो विशेष महात्म्य है ही, रामचरित मानस के सुंदरकांड का पाठ भी श्रद्धालु करते हैं. आम दिनों में पूजा-पाठ से दूर रहने वाले लोग भी जैसे साधक की भूमिका में आ गये हैं.भव्य आयोजन को लेकर पूजा समितियों के बीच जैसे होड़ मची है. चाहे पंडाल हो या प्रतिमाएं, किसी मामले में कोई पीछे नहीं रहना चाहता.
कई जगहों पर पूजा पंडालों को ऐतिहासिक स्थलों का स्वरूप दिया जा रहा है तो कई जगह किसी बड़ी घटना से जोड़कर पंडाल बनाये जा रहे हैं. शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक में विशाल पंडाल आकार लेने लगा है. यद्यपि यह पंचमी-षष्ठी को पूर्ण रूप में आयेगा.
हठयोग की तैयारी में जुटे साधक
नौ दिनों तक देवी की साधना-आराधना में भक्त लगे रहेंगे. इन दिनों आहार का विशेष ध्यान रखा जाता है. अधिकांश श्रद्धालु इन दिनों फलाहार रखते हैं. निराहार रहकर भी देवी की पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम नहीं होती. इस क्रम में कई भक्त ऐसे हैं जो हठयोग कर देवी को प्रसन्न करेंगे. कोई सीने पर कलश रखकर माता की अर्चना करेगा तो कोई गर्दन तक जमीन के अंदर शरीर को गाड़ कर. पं एसके पाठक का कहना है कि जिद तो बच्चे अपनी माता के पास ही करते हैं न. मां दुर्गा काे प्रसन्न करने के लिए कठिन साधना करते हैं.
तंत्र साधना के लिए अहम : तंत्र साधना के लिए नवरात्र सबसे अहम दिन होता है. हर दिन का खास महत्व होता है लेकिन इनमें सप्तमी तिथि पर कालरात्रि स्वरूप की पूजा सबसे महत्वपूर्ण होती है. इन दिनों श्मशान में साधक जुटते हैं.
शहर के श्मशान में भी साधकों की भीड़ जुटेगी.

Next Article

Exit mobile version