प्लास्टिक की छतरी लगा उगायें बेमौसमी सब्जी
मुजफ्फरपुर: सरदी के मौसम में पाला गिरने से सबसे अधिक नुकसान सब्जी उत्पादक किसानों को उठाना पड़ता है. फल-फूल लगे सब्जी का फसल चौपट हो जाती है. मौसम की मार से सब्जी को बचाने के लिए किसान प्लास्टिक टनल तकनीक अपना सकते हैं. यह फसल को कम तापमान से बचाने के लिए बनायी जाती है. […]
मुजफ्फरपुर: सरदी के मौसम में पाला गिरने से सबसे अधिक नुकसान सब्जी उत्पादक किसानों को उठाना पड़ता है. फल-फूल लगे सब्जी का फसल चौपट हो जाती है. मौसम की मार से सब्जी को बचाने के लिए किसान प्लास्टिक टनल तकनीक अपना सकते हैं. यह फसल को कम तापमान से बचाने के लिए बनायी जाती है. कम खर्च में फसल को सुरक्षित कर अच्छी आमदनी प्राप्त किया जा सकता है. सरैया स्थित मुजफ्फरपुर बॉटिनकल रिसर्च संस्थान में प्लास्टिक टनल तकनीक का प्रयोग सफल हुआ है. संस्थान के निदेशक अविनाश कुमार बताते हैं कि इस तकनीक से अगेती व बैमौसमी सब्जी उत्पादन कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
ऐसे तैयार करें टनल : प्लास्टिक टनल संरचना फसल के रोपाई के बाद क्यारी पर कम ऊंचाई पर प्लास्टिक(पॉलिथिन) की छतरी बनाया जाता है. इसमें पारदर्शी पॉलिथिन का उपयोग होता है. क्यारी पर दो मिलीमीटर में जंगरोधी लोहे के तारों, पतली पाइप या बांस की पतली डालियों को मोड़कर घेरा बनाया जाता है.
पाइप, बांस या तार के दो सिरों की दूरी 50-60 सेमी के बीच होनी चाहिए. तारों की बीच की दूरी 1.5 से दो मीटर रखनी चाहिए. इसके बाद तैयार पौध को क्यारियों में रोपते हैं. सर्दी में रात में तापमान पांच डिग्री से कम रहने पर प्लास्टिक में छेद करने की जरूरत नहीं रहती है. लेकिन तापमान इससे बढ़ने पर प्लास्टिक में पूर्व दिशा की ओर छेद कर देना चाहिए, ताकि धूप आ सके. तापमान बढ़ने के साथ इन छेदों का आकार भी बढ़ाया जा सकता है. मौसम ठीक होने पर तापमान को ध्यान में रखते हुए फरवरी के अंत या मार्च के प्रथम सप्ताह पूरी तरह से हटा दिया जा सकता है. इस समय तक फसल काफी आगे निकल चुकी होती है. कुछ सब्जी में फल लगने लगता है.