सात घंटे खड़ी रही फायर ब्रिगेड की गाड़ी, नहीं मिला पानी

मुजफ्फरपुर : जलापूर्ति व्यवस्था काे दुरुस्त करने को लेकर चाहे कितने दावे किये जाते हों, लेकिन आलम यह है कि आकस्मिक सेवाओं के लिए पानी की व्यवस्था करने में प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को कलेक्ट्रेट स्थित पंप हाउस पर पानी लेने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2016 4:28 AM

मुजफ्फरपुर : जलापूर्ति व्यवस्था काे दुरुस्त करने को लेकर चाहे कितने दावे किये जाते हों, लेकिन आलम यह है कि आकस्मिक सेवाओं के लिए पानी की व्यवस्था करने में प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को कलेक्ट्रेट स्थित पंप हाउस पर पानी लेने के लिए फायर वाहन को सात घंटे तक इंतजार करना पड़ा. सुबह आठ बजे पानी के लिए खड़े वाहन को शाम तीन बजे पानी मिल पाया. अगर इस दौरान अगलगी घटना होती, तो समझा जा सकता है कि क्या स्थिति होती.

चंदवारा स्थित अग्निशमन यूनिट से फायर वाहन पानी के लिए कलेक्ट्रेट पंप हाउस पर आते हैं. डीएम कार्यालय में पानी की आपूर्ति भी इसी पंप से होती है. लेकिन, हालत यह है कि इमरजेंसी सेवा वाला यह पंप बिजली के भरोसे है. ऐसा नहीं है कि पंप हाउस में जेनरेटर की सुविधा नहीं है. लेकिन, यह खराब रहने के कारण शो-पीस बन कर रह गया है. यही वजह है कि बिजली गुल होते ही पानी बंद हो जाता है. इसके बाद पानी के लिए हाहाकार की स्थिति हो जाती है. कलेक्ट्रेट के कर्मचारी को पानी के लिए परिसर से बाहर जाना पड़ता है.
आपदा आयी तो कैसे िनबटेंगे
कलेक्ट्रेट स्थित पंप हाउस का जेनरेटर खराब
आपात स्थित में भी बिजली के आने का रहता है इंतजार
पीएचइडी कार्यालय के सामने लगा चापाकल भी हुआ खराब
पीआइआर में पानी के पाइपलाइन में पहुंच रहा नाले का पानी
टायर मंडी में जली थीं दो सौ दुकानें, नहीं मिला था पानी
कंपनीबाग के मीना बाजार में 19 दिसंबर 2014 को भीषण आग लगी थी. इसमें दो सौ अधिक दुकानें जल गयी थीं. उस समय भी पंप से फायर ब्रिगेड के टैंकर को पानी नहीं मिला था. फायर वाहनों को पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा था. इसके कारण 24 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका. देर रात तक मलबे से आग व धुआं निकलता रहा. इस घटना में 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था. आग पर काबू पाने के लिए आसपास के जिलों समेत दमकल की 15 गाड़ियां लगी थीं.
इनसे सौ से अधिक टैंकर पानी का इस्तेमाल किया गया. तब भी समाहरणालय स्थित पंप से टैंकर को पानी नहीं मिला था.
मुंह चिढ़ा रहा पीएचइडी ऑफिस के सामने लगे बोर्ड का स्लोगन
पानी आपूर्ति की स्थिति की एक और बानगी देखिये. कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पीएचइडी कार्यालय के सामने बड़ा सा बोर्ड लगा है. इस पर स्लोगन लिखा है, नीर निर्मल परियोजना का है नारा, शुद्ध् जल एवं स्वच्छता हो संकल्प हमारा. बोर्ड के ठीक दाहिने ओर इसी विभाग की ओर से लगाया गया चापाकल सूखा पड़ा है. झाड़ी व गंदगी से चापाकल का चबूतरा तक ढंक चुका है. बताया जाता है कि इंडिया मार्का इस चापाकल को कुछ माह पहले ही लगाया गया है. पीएचइडी कार्यालय
पीएचइडी कार्यालय के
से महज बीस कदम आगे बढ़ने पर अलग ही दृश्य दिखता है. जिला नियंत्रण कार्यालय में जानेवाले सप्लाई वाटर के पाइप से पानी निकल रहा है. कार्यालय के गेट के सामने खड़े एक कर्मचारी ने बताया कि पाइपलाइन से नाला का पानी जाता रहता है. यह स्थिति काफी दिनों से है. कुछ इसी तरह का हाल डीएम कार्यालय के चापाकल का भी है. चापाकल से पानी तो निकलता है, लेकिन गंदगी व झाड़ी के कारण लोग पानी के लिए नहीं जाते हैं.

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