कालाधन रखने वाले जीरो बैलेंस एकाउंट की तलाश में जुटे, खोज रहे आइडी कार्ड

मुजफ्फरपुर : शहर में जिन लोगों के पास कालाधन है, उन्होंने उसे खपाने के लिए जुगत लगानी शुरू कर दी है. पूरी योजना के तहत इसे अंजाम दिया जा रहा है. इसके लिए ये लोग आइडी प्रूफ व बैंक एकाउंट इकट्ठा करने में जुटे हैं. इसके लिए नजदीकी संबंधियों व परिचितों का सहारा लिया जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2016 3:39 AM

मुजफ्फरपुर : शहर में जिन लोगों के पास कालाधन है, उन्होंने उसे खपाने के लिए जुगत लगानी शुरू कर दी है. पूरी योजना के तहत इसे अंजाम दिया जा रहा है. इसके लिए ये लोग आइडी प्रूफ व बैंक एकाउंट इकट्ठा करने में जुटे हैं. इसके लिए नजदीकी संबंधियों व परिचितों का सहारा लिया जा रहा है. ये लोग उन लोगों की आइडी प्रूफ व एकाउंट नंबर ले रहे हैं, जिनके खातों में ज्यादा लेन-देन नहीं होता है. सूत्रों की मानें तो विभिन्न पेशों से जुड़े ऐसे लोगों ने दर्जनों की संख्या में आइडी व बैंक एकाउंट का इंतजाम

आइडी जुटाने लगे
कर लिया है. बैंक खुलने से पहसे ही ये लोग इस काम में लग गये थे और गुरुवार को जब बैंक खुला, तो ऐसे इनके आदमी बैंकों के आसपास भी देखे गये.
लॉकरों का इस्तेमाल. कालेधन को विदेशी मुद्रा में बदलने व सोना-चांदी खरीदने का काम भी शहर में हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, ऐसे लोगों ने 35-40 हजार रुपये तोले तक सोना खरीदा है. इस सोने व विदेशी मुद्रा को विभिन्न बैंकों के लॉकर में रखा जा रहा है.
सूने हैं रियल स्टेट के दफ्तर. नोट बंदी की घोषणा के बाद से रियल स्टेट के दफ्तर सूने पड़े हैं. लोग पूछताछ के लिए भी नहीं पहुंच रहे हैं. इक्का-दुक्का वो लोग ऑफिसों में आ रहे हैं, जिन्होंने प्रापर्टी खरीद के लिए एडवांस दे रखा है. वो अब चाहते हैं कि उनका एडवांस वापस हो जाये, क्योंकि उन्होंने प्रापर्टी खरीदने का मन बदल लिया है.
शहर में कुछ लोगों ने इकट्ठा की दर्जनों आइडी
40 फीसदी तक गिरेंगे रियल स्टेट के दाम!
नोट बंद होने की सबसे ज्यादा मार रियल स्टेट पर पड़ी है. इससे जुड़े लोगों के मुताबिक जिले में 40 फीसदी तक दाम गिर सकते हैं. पहले से ही मंदी चल रही थी. रियल स्टेट कारोबार से जुड़े भूषण झा बताते हैं कि जमीन व फ्लैट की कीमत में काफी कमी आयेगी, जिन लोगों ने बुकिंग करा रखी है. वह अब पेमेंट करने में देर करेंगे या फिर जिन्हें रजिस्ट्री करानी थी. वह भी अब देर करेंगे.
क्योंकि बाजार में खुदरा नोट नहीं है.
रुपया मैनेज करने में जुटे रहे कई डॉक्टर!
500 व 1000 के नोट को मैनेज करने में शहर के कई डॉक्टर लगे हैं. गुरुवार को कई डॉक्टरों ने अपनी क्लीनिक बंद रखी और दिनभर इंतजाम में लगे रहे. नाम न छापने की शर्त पर ये जानकारी एक डॉक्टर ने दी. उनका कहना था कि रकम इकट्ठा करनेवाले डॉक्टरों की परेशानी ये है कि वो घर में रखे लाखों रुपये कहां खपायें. उसका श्रोत क्या दिखायें, क्योंकि ऐसा करते हैं, तो कम टैक्स देने के फेरे में आ सकते हैं.
सरकार की ओर से कालाधन को दिखाने की स्कीम में जिले के डॉक्टरों ने सबसे ज्यादा रकम घोषित की थी.
शहीद विकास को आज दी जायेगी अंतिम विदाई

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