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सोना व रियल इस्टेट में ज्यादा निवेश कालाधन

मुजफ्फरपुर : देश में सोना, जेवरात, मकान और रियल इस्टेट में कालाधन सबसे ज्यादा निवेश है. इससे बाजार की मांग व आपूर्ति प्रभावित होती है. कालाधन संपत्ति व आय के वितरण को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. यह बातें गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से रविवार को कम्युनिटी कॉलेज में कालेधन की अर्थव्यवस्था विषय पर […]

मुजफ्फरपुर : देश में सोना, जेवरात, मकान और रियल इस्टेट में कालाधन सबसे ज्यादा निवेश है. इससे बाजार की मांग व आपूर्ति प्रभावित होती है. कालाधन संपत्ति व आय के वितरण को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. यह बातें गांधी शांति प्रतिष्ठान की ओर से रविवार को कम्युनिटी कॉलेज में कालेधन की अर्थव्यवस्था विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बीआरए बिहार विवि के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो प्रसून कुमार राय ने कही.

उन्होंने कहा, कालाधन से देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौती बन कर खड़ी है. अमीर और अमीर हो गये. इन चुनौतियों से निबटने के लिए केंद्र सरकार ने 500 -1000 रुपये के नोट एकाएक बंद करने का फैसला लिया. लेकिन, इसके बदले इससे बड़े 2000 रुपये का नोट लाने का फैसला समझ से जुदा है. इससे कालाधन एकत्र करने वाले बड़े लोग और सुरक्षित हो गये हैं. सौ रुपये से अधिक की करेंसी बाजार में लाने का फैसला सवालों के घेरे में है.

नोटबंदी के फैसले से महिलाओं में भय का माहौल है. लोगों की परेशानी आंकने में सरकार विफल हो गयी है. समाज में वैसे लोगों की संख्या ज्यादा है जो अपना पेट काट कर अच्छे काम के लिए पैसे जुटा रखे हैं. लेकिन, इन पर पेनाल्टी का प्रावधान किया गया है. यह अव्यवहारिक कदम है. देश में 15 से 20 फीसदी लोगों के पास ही कालाधन है. लेकिन सरकार के फैसले का असर निचले तबके के लोगों पर है.

कार्यक्रम में अरविंद वरुण, संजय सहारिका, प्रो अमरेंद्र नारायण यादव, डॉ कृष्ण मोहन, प्रभात कुमार ने विचार रखे. अध्यक्षता सर्वोदयी चिंतक लक्षणदेव प्रसाद सिंह ने की. डॉ अरुण कुमार सिंह ने विषय प्रवेश कराया. विनय प्रशांत ने धन्यवाद दिया. इस मौके पर संस्था के पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र कुमार, प्रो राेहिताश्व दूबे, प्रो विजय कुमार जायसवाल, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ मिथिलेश कुमार मिश्र, सोनू सरकार, बी के प्रलंयकर, रमण कुमार मौजूद थे.

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