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रामचरितमानस सिखाता है जीवन जीने की कला

श्रीहनुमत कथा. संत प्रदीप भैया की कथा मुजफ्फरपुर : मनुष्य के मन में ईर्ष्या छुपी रहती है. वह समय-समय पर प्रकट होती रहती है. ऐसी स्थिति में मनुष्य परमात्मा काे प्राप्त नहीं कर सकता. जीवन में जब ईर्ष्या मरती है, तब व्यक्ति भवसागर से पार पाता है. उक्त बातें बुधवार को मोतीझील स्थित बीबी कॉलेजिएट […]

श्रीहनुमत कथा. संत प्रदीप भैया की कथा

मुजफ्फरपुर : मनुष्य के मन में ईर्ष्या छुपी रहती है. वह समय-समय पर प्रकट होती रहती है. ऐसी स्थिति में मनुष्य परमात्मा काे प्राप्त नहीं कर सकता. जीवन में जब ईर्ष्या मरती है, तब व्यक्ति भवसागर से पार पाता है. उक्त बातें बुधवार को मोतीझील स्थित बीबी कॉलेजिएट मैदान में श्रीहनुमत कथा के दूसरे दिन वृंदावन से आये कथावाचक संत प्रदीप भैया जी ने कहीं. व्यासपीठ पर बैठे संत ने श्रीहनुमान कथा से जुड़े कई प्रसंग सुनाए. उन्होंने कहा कि लोभ,
वाणी व व्यवहार से और कामना आंख व व्यवहार से सामने आ जाता है. लेकिन ईर्ष्या मनुष्य के हृदय में छुपी रहती है. कथा के दौरान हनुमान जी के एक-एक संवाद पर श्रोता करतल ध्वनि कर रहे थे. संकीर्तन के दौरान महिलाएं झूम रही थीं. संत ने कहा कि रामचरितमानस का हर एक पाठ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाता है. उन्होंने कहा कि जब हनुमान माता सीता की खोज में जब समुंद्र पार कर लंका की ओर बढ़े तो रास्ते में कई विपदाएं आयी. सुरसा नाम राक्षस ने हनुमान का रास्ता रोका. राक्षस नहीं मानी तो उन्होंने उसी के रूप में उन्हें शांत कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया.

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