रिश्वत के लिए लगातार दबाव बना रहा था दारोगा

मुजफ्फरपुर : कटरा थाना के तेहवरा गांव में छेड़खानी को लेकर हुए मारपीट में दर्ज प्राथमिकी के आरोपितों से केस का अनुसंधानक दारोगा चार माह से रुपये ऐंठ रहा था. पहले इस मामले में आरोपित लोगों की गिरफ्तारी के लिए उनके यहां छापेमारी की. छापेमारी के दौरान महिलाओं व बुजुर्गों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2016 8:34 AM
मुजफ्फरपुर : कटरा थाना के तेहवरा गांव में छेड़खानी को लेकर हुए मारपीट में दर्ज प्राथमिकी के आरोपितों से केस का अनुसंधानक दारोगा चार माह से रुपये ऐंठ रहा था. पहले इस मामले में आरोपित लोगों की गिरफ्तारी के लिए उनके यहां छापेमारी की. छापेमारी के दौरान महिलाओं व बुजुर्गों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार कर उनके बीच दहशत का माहौल कायम कर दिया. इसके बाद घर छोड़ फरार आरोपितों के घर की महिलाओं से गिरफ्तारी नहीं करने के नाम पर रुपये ऐंठने लगा. हद तो तब हो गयी जब हजारों रुपये लेने के बाद दारोगा ने चार लोगों को जेल भेज दिया और केस डायरी लिखने के नाम पर एक लाख की मांग शुरू कर दी. परेशान लोगों ने विजिलेंस की शरण ली.
छेड़खानी को लेकर हुई थी मारपीट व बवाल : अगस्त माह में तेहवरा गांव के सहनी टोला की एक लड़की के साथ ग्रामीण सच्चिदानंद सिंह के पुत्र संजू सिंह ने छेड़खानी की थी. इस मामले को लेकर सहनी टोले के लोग आक्रोशित थे.15 अगस्त को सच्चिदानंद सिंह अपने पुत्र व ग्रामीणों को लेकर सहनी टोला पहुंच मामले को शांत कराने के लिए पंचायती करा सलटने की कोशिश की. बातचीत चल ही रहा था कि सच्चिदानंद सिंह के पक्ष से वहां पहुंचे दो-चार युवकों ने मारपीट शुरू कर दी. इसके बाद दोनों ओर से जमकर मारपीट शुरू हो गयी. इस मारपीट में सच्चिदानंद व उसका पुत्र संजू सिंह का सिर फट गया. उन्होंने इस मामले की प्राथमिकी 65/16 कटरा थाने में दर्ज करायी थी. मामले का अनुसंधानक सच्चिदानंद सिंह को बनाया गया था. प्राथमिकी में उमेश सहनी,महेश सहनी,एकलव्य सहनी,देवराज सहनी,विपिन सहनी व राजा सहनी को जानलेवा हमला करने का अभियुक्त बनाया गया था.
महिलाओं को डरा-धमका कर ऐंठ चुका था तीस हजार : केस होने के बाद अनुसंधानक दारोगा सच्चिदानंद सिंह सहनी टोला के लोगों पर कहर ढ़ाने लगा. गिरफ्तारी के नाम पर टोले में पहुंच आरोपितों को खोजने लगा और उनके फरार होने की स्थिति में परिवार की महिलाओं व बुजुर्गों के साथ गाली-गलौज,मारपीट करने लगा. आरजू-विनती करने पर रिश्वत की मांग करता था. दारोगा के कोप से बचने के लिए फरार आरोपितों के घर की महिलाओं ने उसे कुल तीस हजार रुपये भी दिये. इसके एवज में दारोगा गिरफ्तारी से मोहलत देने का वायदा किया. लेकिन 25 नवंबर को छह में से चार अभियुक्तों उमेश सहनी,एकलव्य सहनी,देवराज सहनी और विपिन सहनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. ग्रामीणों का कहना है कि एकलव्य सहनी सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं और झगड़ा के दिन 15 अगस्त को वे अपने विद्यालय में झंडोत्तोलन में शामिल थे. इसके बाद भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. शिक्षक की गिरफ्तारी के बाद गांव के लोग आक्रोशित हो गये थे और दारोगा को सबक सिखाने की ठान ली थी.
सबक सिखाने के लिए किया केस : दारोगा सच्चिदानंद के व्यवहार से परेशान लोगों ने उसे रिश्वत देने के बजाय सबक सिखाने की ठान ली. गांव के विनोद कुमार दारोगा से केस डायरी के लिए बात कर रहे थे. वे विजिलेंस एसपी के पटना स्थित कार्यालय पहुंच इसकी शिकायत की.
प्रोन्नति के बाद बदल-गया था रंग-ढंग : सच्चिदानंद सिंह कटरा थाने में जमादार के पद पर वर्ष 2014 में पदस्थापित हुए थे. अभी अगस्त माह में उनकी प्रोन्नति हुई तो वे दारोगा बन गये थे.स्थानीय लोगों ने बताया कि दारोगा बनने के बाद उनका व्यवहार काफी बदल गया था. बात-बात में लोगों पर धौंस जमाने से लेकर दुर्व्यवहार व बड़े अधिकारियों के नाम पर रिश्वत की मांग शुरू कर देते थे. दारोगा के रिश्वत लेने में पकड़े जाने पर छह साल पहले वर्ष 2010 में प्रखंड मुख्यालय स्थित आवासीय परिसर में पांच हजार का घूस लेते पकड़े गये आपूर्ति पदाधिकारी किशोर कुमार सिन्हा की भी चर्चा शुरू हो गयी. उन्हें एक डीलर से घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था.
इस साल निगरानी के हत्थे चढ़े जिले के पांच पुलिसकर्मी
कटरा के दारोगा सच्चिदानंद सिंह के पूर्व भी इस जिले के चार पुलिसकर्मी को निगरानी ने रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोचा है. रिश्वत के लिए लगातार पकड़े जा रहे पुलिसकर्मियों की घटना से गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पर भी सवाल उठ रहे हैं. निगरानी विभाग इसके पूर्व भी दो दारोगा व दो जमादार को रंगेहाथ घूस लेते पकड़ा था. इस वर्ष 20 अप्रैल 2016 को जैतपुर ओपी के जमादार रंजीत कुमार चौधरी को रंगेहाथ निगरानी ने घूस लेते पकड़ा था. प्रकाश नामक व्यक्ति ने उन पर केस में पैरवी के लिए घूस मांगने की शिकायत की थी. 12 मई 2016 काे काजीमुहम्मदपुर के जमादार अबू ओबैद को निगरानी ने बीस हजार घूस लेते पकड़ा था. अबू ओबैद मनियारी थाना के विकास नामक एक कंप्यूटर व्यवसायी से अघोरिया चौक स्थित उसके दुकान पर बीस हजार रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गये थे. 19 सितंबर 2016 को काजीमुहम्मदपुर के ही दारोगा अरुणंजय कुमार को निगरानी ने थाना गेट पर ही दस हजार घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा था. 27 अक्तूबर को साहेबगंज के दारोगा रामाश्रय प्रसाद को मात्र दो हजार रुपये घूस लेते पकड़ा गया था.
केस डायरी के लिए मांग रहा था एक लाख रुपये
चार आरोपितों को जेल भेजने के बाद उसके परिजनों ने न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दी थी. अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अनुसंधानक से केस डायरी की मांग की थी. अब कोर्ट में केस डायरी भेजने के लिए दारोगा फिर रिश्वत देने का दबाव देने लगा. केस डायरी के लिए पीड़ितों ने संपर्क किया तो उसने एक लाख रुपये की मांग की. काफी-आरजू विनती पर 50 हजार पर मामला तय हुआ था.

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