मुजफ्फरपुर : बिहार में रेलवे की जांच एजेंसियों के साथ इनकम टैक्स की टीम गोपनीय तरीके से यूटीएस व पीआरएस (रिजर्वेशन) काउंटरों से नोटबंदी के बाद अब तक बैंकों में जमा हुए नोटों की डिटेल खंगाल रही है. इस दौरान 30 दिनों में लगभग चार करोड़ के पुराने नोटों को बदले जाने की बात सामने आ रही है. इसे कालाधन माना जा रहा है, जिसे काउंटरों के जरिये सफेद किया गया है. सूत्र बताते हैं कि जांच टीम को इससे संबंधित पुख्ता सबूत हाथ लग गयी है.
इसमें यूटीएस व पीआरएस के आधा दर्जनकर्मियों के साथ रेलवे व प्रशासन के कई बड़े अधिकारी जांच एजेंसियां के रडार पर है. हालांकि, यूटीएस प्रभारी का कहना है कि उनसे इस संबंध में अब तक कोई पूछताछ नहीं की गयी है, लेकिन नौ दिसंबर की आधी रात से पुराने नोट लेने की बंद हुई प्रक्रिया के बाद विभाग की तरफ से सभी कर्मियों के आधार नंबर लिये गये हैं.
साक्ष्य जुटाने में लगी हैं एजेंसियां
पिछले एक सप्ताह से जांच टीम रेलवे से लेकर बैंक तक में पहुंच पूरी जानकारी जुटा रही है. सूत्राें के मुताबिक नोटबंदी के दौरान रेलवे से कितनी राशि बैंक में जमा हुई है. उसमें पुराने 500 व 1000 के कितने नोट हैं. इसकी जानकारियां हासिल करने के बाद टीम अब रेलवे काउंटरों से नोटों की डिटेल लेने में लगी है. हालांकि, रेलवे के कैश सेक्शन से बैंक में जो नोट गये हैं, उसमें कोई अंतर नहीं है. नोट बदलने का जो भी खेल हुआ है वह निचले स्तर यानी काउंटर से किया गया है.
काउंटर पर आया खुदरा, बैंक में जमा हुए 1000-500 के पुराने रुपये
अब तक जांच में जो बिंदु सामने आया है. इसमें पुराने नोटों को बदलने का सबसे बड़ा खेल काउंटर पर तैनात कर्मियों की ओर से किया गया है. सीसीटीवी फुटेज में नोटबंदी के दस-पंद्रह दिनों बाद स्थिति सामान्य हुई, तब यूटीएस काउंटर पर अधिकतर यात्री 100 रुपये का नोट या फिर दो हजार का नोट देकर टिकट खरीदे हैं काउंटर पर आया लेकिन बैंक में जो नोट उस दौरान जमा हुए हैं उनमें 90 फीसदी नोट पुराने 500 व 1000 के हैं. किसी-किसी काउंटर से तो पूरा का पूरा 500 व 1000 का ही नोट जमा किया गया है. टीम अब यह जानकारी जुटाने में लगी है कि काउंटर से 100 व नये नोट की जगह जो पुराने नोट जमा हुए हैं वह किन अधिकारी व कर्मियों के काउंटर से जमा किये गये हैं. कहीं रेलकर्मियों ने कमीशन पर कालेधन को खपाने का तो काम नहीं किया है?