मुजफ्फरपुर : पानी की जब भी बात होगी पानीदार पुरुष अनुपम मिश्र की यादें ताजा हो उठेंगी. जल संकट से समाज को बचाने के लिए उन्होंने ‘आज भी खरे हैं तालाब’ पुस्तक के जरिये आईना दिखाने का काम किया. उनके बताये रास्तों को अपनाकर समाज जल संकट से मुक्ति पा सकता है. उक्त बातें हरीतिमा में अनुपम मिश्र प्रेरणा सभा में वक्ताओं ने कही. अध्यक्षता नागेश्वर प्रसाद सिंह ने की. इन्होंने कहा कि तालाब, नदी व पानी को बचा कर हम उन्हें सच्चे मायने में याद कर सकते हैं, क्योंकि जल संरक्षण उनका सपना था. वरिष्ठ कथाकार और गीतकार डॉ नंदकिशोर नंदन ने कहा कि अनुपम मिश्र अपने पिता भवानी प्रसाद मिश्र की तरह ही सरल थे. पिता अगर साहित्य के लिए याद आते हैं, तो अनुपम मिश्र हर जल संकट में याद आयेंगे.
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हमेशा आयेगी पानीदार पुरुष अनुपम मिश्र की यादें
मुजफ्फरपुर : पानी की जब भी बात होगी पानीदार पुरुष अनुपम मिश्र की यादें ताजा हो उठेंगी. जल संकट से समाज को बचाने के लिए उन्होंने ‘आज भी खरे हैं तालाब’ पुस्तक के जरिये आईना दिखाने का काम किया. उनके बताये रास्तों को अपनाकर समाज जल संकट से मुक्ति पा सकता है. उक्त बातें हरीतिमा […]
साहित्यकार रमेश ऋतंभर ने कहा कि आजादी के बाद उनकी पुस्तक ‘आज भी खरे हैं तालाब’ सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक रही है. इस पुस्तक का कॉपी राइट उन्होंने स्वयं न बनकर समाज को बनाया था. उनका मानना था कि कोई भी लेखक सिर्फ समाज के लिए लिखता है. भाकपा माले के जिला सचिव कृष्ण मोहन ने कहा कि समाज में मौजूा जल संकट के पीछे बाजारवाद भी जिम्मेवार है. अनुपम मिश्र ने जो रास्ता दिखाया है. उस पर अमल की जरूरत है. तालाब-नदी व जल संरक्षण के लिए समाज व सरकार दोनों को पहल करने की जरूरत है. साहित्यकार डॉ रामललित सिंह, रंगकर्मी स्वाधीन दास, एम अखलाक आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये. अंत में दो मिनट का मौन धारण कर अनुपम मिश्र को श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर गीतकार महेश ठाकुर चकोर, नीरज कुमार निराला, पारसनाथ प्रसाद, शेफाली आदि मौजूद थे.
पर्यावरणविद अनुपम मिश्र को दी गयी श्रद्धांजलि
उनकी ‘पुस्तक आज भी खरे हैं तालाब’ की खूब हुई चर्चा
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