तीन माह में 88100 कैसे बनेंगे
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नौ महीने में बने 900 शौचालय
तीन माह में 88100 कैसे बनेंगे सात निश्चय. पंचायत सरकार के चयन में उलझन के कारण योजनाओं की रफ्तार धीमी मुजफ्फरपुर : राज्य की सबसे महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पंचायत सरकार के चयन में उलझने के कारण लक्ष्य से काफी पीछे छूट गयी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्तीय साल […]
सात निश्चय. पंचायत सरकार के चयन में उलझन के कारण योजनाओं की रफ्तार धीमी
मुजफ्फरपुर : राज्य की सबसे महत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय पंचायत सरकार के चयन में उलझने के कारण लक्ष्य से काफी पीछे छूट गयी है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वित्तीय साल 2016 – 17 के समाप्त होने में महज तीन महीने शेष हैं, लेकिन अभी कई योजनाओं की सुगबुगाहट नहीं हुई है. ग्रामीण क्षेत्र को खुले में शौचमुक्त करने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 90343 शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था.
लेकिन अब तक सिर्फ 900 शौचालय ही बन पाये हैं. बीते दस दिसंबर को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की ओर से प्रबंध पर्षद की बैठक में जारी रिपोर्ट के अनुसार 385 पंचायतों में से केवल पांच पंचायतों को खुले में शौचमुक्त किया गया है. इनमें सकरा की पैगंबरपुर, मुशहरी की बैकटपुर व शेखपुर व गायघाट की बलौर निधि पंचायत शामिल हैं. मुरौल की आठ ग्राम पंचायतों में 2578 लाभुकों के शौचालय निर्माण का कार्य चल रहा है. मुरौल की एक पंचायत विधाझाप को खुले में शौचमुक्त घोषित (ओडीएफ) किया गया है.
गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्र में परिवारों की संख्या 543542 हैं. इनमें से सिर्फ 33579 परिवार को पहले से शौचालय है. शेष परिवार खुले में शौच जाते हैं. हर घर नाली सड़क व हर घर नल जल योजना की बात करें, तो यह फिलहाल ठंडे बस्ते में है. इस याेजना में केवल मुरौल की इटहां पंचायत में ही काम प्रारंभ हुआ है. हालांकि, इस पंचायत में भी कार्य कछुए की गति से चल रहा है. सीएम के पंचायत में दौरे को लेकर आनन-फानन में दो-तीन टोला में पानी का कनेक्शन दिया गया. बाकी पंचायत हर घर नल व नाली निर्माण के लिए टकटकी लगाये हुए हैं.
385 पंचायतों में से पांच
ही ऐसी हैं, जो खुले में
शौचमुक्त हो पायी हैं
ग्रामीण क्षेत्र के 5.5 लाख परिवारों में से केवल 34 हजार के पास शौचालय
योजनाओं के चयन में उलझ कर रह गयी सात निश्चय की योजना
योजनाओं के चयन में हो
रहा विलंब
सात निश्चय की योजनाओं का चयन वार्ड समिति के माध्यम से होना है. चयन के बाद योजनाओं को ग्रामसभा से पारित किया जाना है. इसके बाद बजट तैयार कर राशि आवंटित होगी.
इस प्रक्रिया को पूरा होने में आठ महीने का समय गुजर गया. हालांकि, अब जिला पंचायत ने पंचायत वार चयनित योजनाआें की सूची ग्रामीण विकास को भेज दी है. योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गठित वार्ड समिति का अकाउंट भी खुल गया है. लेकिन, जब तक विभाग योजना मद में पैसा आवंटित नहीं करती है, तब तक योजना धरातल पर नहीं उतरेगी.
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