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असली-नकली के खेल में उलझ रहा कामकाज

मुजफ्फरपुर : जिले में करीब 11 हजार पंचायत व प्रखंड शिक्षक हैं. निगरानी विभाग वर्ष 2006 से 2014 तक नियोजित शिक्षकों की जांच कर रहा है. पिछले साल नियोजित शिक्षकों को वेतनमान निर्धारित करने के साथ ही सरकार ने टीइटी के आधार पर नियोजित शिक्षकों की जांच का निर्देश विभाग काे दिया था. साल के […]

मुजफ्फरपुर : जिले में करीब 11 हजार पंचायत व प्रखंड शिक्षक हैं. निगरानी विभाग वर्ष 2006 से 2014 तक नियोजित शिक्षकों की जांच कर रहा है. पिछले साल नियोजित शिक्षकों को वेतनमान निर्धारित करने के साथ ही सरकार ने टीइटी के आधार पर नियोजित शिक्षकों की जांच का निर्देश विभाग काे दिया था. साल के शुरुआत में डीइओ ने टीइटी सर्टिफिकेट की जांच के लिए कमेटी बनायी. अप्रैल में सभी बीइओ को मूल सीडी की कॉपी देकर जांच करने का निर्देश दिया. मई-जून में तीन प्रखंडों के बीइओ ने टीइटी सर्टिफिकेट की जांच कर विभाग को रिपोर्ट सौंप दी. इसमें करीब डेढ़ सौ शिक्षक ऐसे मिले, जिनका रोल नंबर मूल सीडी में नहीं था.
फर्जी शिक्षकों लेकर नवंबर से ही विभाग में बवंडर मचा है.
सेवा पुस्तिका की जांच : सेवा पुस्तिका की जांच के क्रम में तत्कालीन डीपीओ ने मीनापुर से 145 व बंदरा से 61 शिक्षकों को फर्जी चिह्नित किया. इसके अलावा बीइओ की जांच में सकरा में छह, मुशहरी में 16, बोचहां में 35, कांटी में छह, मोतीपुर में नौ, सरैया में 22, गायघाट में 26 व पारू में नौ शिक्षकों का सर्टिफिकेट फर्जी मिला था. डीइओ ने आठ नवंबर को सभी 335 फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त करने, उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने व भुगतान की रिकवरी कराने का आदेश दिया. इसके अलावा टीचर ट्रेनिंग कॉलेजों में भी आठ फर्जी शिक्षक पकड़े गये हैं, जबकि पांच प्रखंडों में अभी तक 24 शिक्षक चिह्नित किये गये हैं, जांच अभी अधूरी है.
फर्जी शिक्षकों को भुगतान ने दिया बड़ा झटका : नवंबर में शिक्षक संघ ने फर्जी शिक्षकों को भी वेतन भुगतान किये जाने का आरोप लगा कर विभाग को बड़ा झटका दिया.
सारा दोष डीपीओ स्थापना नीता पांडेय पर था, लिहाजा डीइओ ने उनसे स्थापना का चार्ज वापस लेते हुए जियाउल होदा खां को जिम्मेदारी दे दी.
इसकी जांच डीएम के आदेश पर एसडीओ पश्चिमी के यहां चल रही है, जबकि डीइओ ने तीन सदस्यीय विभागीय कमेटी बनायी है.
साहब के लिए फिर सिरदर्द बना तालिमी मरकज : डीपीओ कामेश्वर कामती के लिए तालिमी मरकज लगातार दूसरे साल अंतिम महीने में ही सिरदर्द बना.
कामती के पास साक्षरता का प्रभार था, जिसे पिछले पखवारे डीएम के आदेश पर डीइओ ने वापस लेते हुए नीता पांडेय को दे दिया. विभागीय लोगों की मानें तो तालिमी मरकज के साधनसेवियों के चयन में हुई गड़बड़ी की जांच अभी तक पूरी नहीं होने के कारण राज्य स्तर से दबाव बना तो विभाग को निर्णय लेना पड़ा.
वहीं अगले महीने 21 तारीख को बनने वाली मानव शृंखला की तैयारी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. पिछले साल दिसंबर में भी कुछ ऐसा ही हुआ. तालिमी मरकज के साधनसेवियों की बहाली में अनियमितता की जांच के लिए कामती के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनी थी, लेकिन किन्हीं दबाव के चलते वे बिना अनुमति छुट्टी पर चले गये. तब डीइओ ने माध्यमिक शिक्षा व साक्षरता का चार्ज वापस लेकर खाली बैठा दिया था.

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