मुजफ्फरपुर : बिहार बोर्ड ने मैट्रिक व इंटर की परीक्षा के लिए जो आवेदन शुल्क निर्धारित किया है, उससे अलग भी खर्च लगता है. जी हां, कुछ ऐसे बहाने बना कर कई स्कूल बच्चों से अधिक वसूली कर रहे हैं.
शुक्रवार की दोपहर रामदयालु के अखिलेश कुमार, मोहित, राहुल व सुशांत सहित आधा दर्जन छात्र डीइओ कार्यालय पहुंचे थे. उनको यह जानकारी चाहिए थी कि इंटर साइंस के लिए परीक्षा शुल्क कितना निर्धारित है. बताया कि स्कूल के स्टॉफ कह रहे हैं कि अखबारों में जो शुल्क दिया जा रहा है, उससे अलग भी खर्च लगता है. इंटर का फॉर्म भरने में 1500 से 1800 रुपये तक लिये जा रहे हैं. कहते हैं कि ऑनलाइन आवेदन व बोर्ड को फीस ट्रांसफर करने में भी खर्च आता है. इस कारण फीस बढ़ा कर लिया जा रहा है. हालांकि कार्यालय में डीइओ नहीं थे. जो कर्मचारी थे, उन्होंने केवल इतना कह कर उन्हें लौटा दिया कि जो फीस निर्धारित है, वही लिया जाना चाहिए.
विभाग को शिकायत का इंतजार स्कूलों में किचकिच
मैट्रिक व इंटरमीडिएट का परीक्षा फॉर्म भरा जा रहा है. परीक्षार्थियों को परीक्षा शुल्क स्कूल में ही जमा करना है. स्कूल से सभी बच्चों का शुल्क एक साथ बोर्ड को भेजा जायेगा. अधिक वसूली को लेकर एक तरफ स्कूलों में किचकिच हो रही है, तो दूसरी ओर विभाग को शिकायत का इंतजार है.
दरअसल, परीक्षा के लिए आवेदन केवल स्कूल के माध्यम से ही किया जा सकता है. बोर्ड ने सभी स्कूल प्रधानों को यूजर आइडी व पॉसवर्ड दिया है, जिससे आवेदन करना है. ऐसे में कोई परीक्षार्थी या अभिभावक इस डर से शिकायत नहीं कर रहे हैं कि स्कूल वाले फॉर्म भरने में अड़ंगा डाल देंगे तो साल बर्बाद हो जायेगा.
पैसे जुटाने में अभिभावकों के छूट रहे पसीने
नोटबंदी के बाद लोगों का आर्थिक स्थिति अभी पटरी पर नहीं आ सकी है. ऐसे में बोर्ड परीक्षा का शुल्क जुटाना अधिकतर अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. अखाड़ाघाट के अशोक कुमार का बेटा इंटर में पढ़ता है. वह दैनिक मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं. कुछ दिनों से काम-धंधा मंदा चल रहा है. इसी बीच स्कूल से ढाई हजार रुपये परीक्षा शुल्क मांगा जा रहा है. अशोक का कहना है कि खुद स्कूल जाकर अपनी समस्या बतायी तो दो हजार रुपये जमा करने को कहा गया. अभी उसका इंतजाम भी नहीं हो पा रहा है.