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कागजात की कमी से मापी टली

सेना व एनएचएआइ के बीच 20 डिसमिल जमीन विवाद का मामला सेना व एनएचएआइ ने सोमवार को नये और पुराने नक्शे को खंगाला पुराने नक्शे में चारों खेसरा नंबर मिला, नये में नहीं हुआ मिलान मुजफ्फरपुर : गोबरसही भगवानपुर रोड में विश्वकर्मा मंदिर के समीप सेना और एनएचएआइ के बीच जमीन विवाद को सुलझाने के […]

सेना व एनएचएआइ के बीच 20 डिसमिल जमीन विवाद का मामला

सेना व एनएचएआइ ने सोमवार को नये और पुराने नक्शे को खंगाला
पुराने नक्शे में चारों खेसरा नंबर मिला, नये में नहीं हुआ मिलान
मुजफ्फरपुर : गोबरसही भगवानपुर रोड में विश्वकर्मा मंदिर के समीप सेना और एनएचएआइ के बीच जमीन विवाद को सुलझाने के लिए सोमवार को दोनों पक्षों के अधिकारी सोमवार की सुबह जमीन मापी को लेकर अपने-अपने अमीन के साथ पहुंचे थे. सेना की ओर से एडम कमांडेंट नीरज कुमार व कर्नल एसके निर्माणा और एनएचएआइ मुजफ्फरपुर के ऑफिस असिस्टेंट नवनीत कुमार व प्रशासन की ओर से मुसहरी सीओ नवीन कुमार पहुंचे थे. दोनों ओर से नक्शे का मिलान कराया गया.
पुराने नक्शे में चारों खेसरा नंबर का मिलान हो गया, लेकिन नये नक्शे में खेसरा नंबर का मिलान नहीं हो पाया. इसके बाद सेना के अधिकारियों ने अमीन को नये नक्शे पर सेना की जमीन और एनएचएआइ की खाता खेसरा नंबर चढ़ा कर लाने के बाद 12 जनवरी को मापी कराने की बात कही. उसके बाद एनएचआइ के अधिकारी और सेना जवान वहां से निकल गये
एडम कमांडेंट नीरज कुमार ने बताया कि सेना पहले अपनी जमीन की मापी करवायेगी. इलाके में सेना 25.92 एकड़ जमीन थी. उक्त जमीन की मापी करवाने के दौरान जो जमीन एनएचआइ को दी गयी है, उसको निकाल कर दे दिया जायेगा. सोमवार को कागजात के अभाव में मापी नहीं हो पायी. 12 जनवरी को कागजात दुरुस्त करवा एनएचएआइ को उसकी जमीन दे दिया जायेगा. वहीं एनएचएआइ के ऑफिस असिस्टेंट नवनीत कुमार ने बताया कि पिछले साह माह जमीन के विवाद के कारण काम रुका हुआ है. प्रतिदिन दो से ढाई लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. आशा 12 जनवरी की जांच के बाद जमीन विवाद खत्म हो जाये.
सूत्रों की मानें तो उक्त जमीन पर आजादी से पूर्व अंग्रेजों के कब्जे में था. आजादी के बाद इसकी देखरेख की जिम्मेवारी जिलाधिकारी के जिम्मे थी. 1958 में इसे सेना के हवाले कर दिया गया था. 2001 में सेना ने 20 डिसमिल जमीन एनएच निर्माण को लेकर सेना ने एनएचएआइ को दे दी थी. फिर सेना ने अपनी जमीन पर बाउंड्री करवायी. इस पर एनएचआइ की आपत्ति है. उनकी मांग है कि बाउंड्री का कुछ भाग एनएचआइ की जमीन में है. इसको लेकर दो साल पूर्व भी मापी हुई थी.
नक्शे का मिलान करते अधिकारी़

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