बृहस्पति की सूर्य से पंचम दृष्टि लाभकारी

14 वर्षों बाद आया 14 जनवरी को मकर संक्रांति का शुभ योग मुजफ्फरपुर : इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जायेगी. इस दिन सूर्य का धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होते ही उत्तरायण काल शुरू हो जायेगा. पंचांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2017 4:46 AM

14 वर्षों बाद आया 14 जनवरी को मकर संक्रांति का शुभ योग

मुजफ्फरपुर : इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनायी जायेगी. इस दिन सूर्य का धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होते ही उत्तरायण काल शुरू हो जायेगा. पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार विशिष्ट योगों में बृहस्पति का सूर्य से पंचम दृष्टि संबंध व सूर्य का बृहस्पति से दृष्टि संबंध बन रहा है.
12 वर्ष में आनेवाले इस प्रकार के दृष्टि संबंध का विशेष लाभ लोगों को प्राप्त होता है. इस योग में सूर्य के साथ भगवान नारायण का भी ध्यान कर आराधना करनी चाहिए. इस दिन आदित्य, हृदय, स्त्रोत, सूर्य स्त्रोत, सूर्याष्टक आदि का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है. इनके पाठ से वंशवृद्धि व पराक्रम में वृद्धि होती है.
महाकाल पर्व रहेगा शुभप्रद: इस बार मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 38 मिनट पर अश्लेषा नक्षत्र प्रीति योग व कर्क राशि के चंद्रमा के साक्षी में मकर लग्न में भगवान सूर्य नारायण का मकर राशि में प्रवेश होगा.
उदयकाल की साक्षी में होनेवाले इस प्रवेशकाल का धर्म शास्त्रीय महत्व है. इस दृष्टि से मकर संक्रांति का महापर्वकाल विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पर्व पुण्यकाल की दृष्टि से दिनभर रहेगा. संक्रांति का नक्षत्र राक्षसी नाम से है, जो कमजोर वर्ग पशुपालक आदि के लिए शुभ रहेगा.
गरीबनाथ मंदिर के पुजारी पं विनय पाठक कहते हैं कि देवीपुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के पवित्र दिन तीर्थ स्नान नहीं करता, वह सात जन्मों तक रोगी व निर्धन बना रहता है. मकर संक्रांति के
दिन देवी-देवताआें के निमित्त तीर्थ में जाकर द्रव्य सामग्री पितरों के लिए जो भी पदार्थ दान दिये
जाते हैं, उसे देवता व पितर हर्षित होकर स्वीकार कर लेते हैं. देवीपुराण में अकाल मृत्यु से बचने के लिए मकर संक्रांति को दुर्गासप्तशती पाठ करने या विद्वान ब्राह्मण से कराने का विधान बताया गया है.

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