गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान में बसे लोगों की संपत्ति का मांगा रिकॉर्ड
मुजफ्फरपुर : केंद्र सरकार ने भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान या बांग्लादेश में बस चुके राज्य के आठ लोगों की संपत्ति की जांच शुरू कर दी है. ये लोग छह अलग-अलग जिलों के मूल निवासी हैं. गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर इन लोगों की संपत्ति […]
मुजफ्फरपुर : केंद्र सरकार ने भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान या बांग्लादेश में बस चुके राज्य के आठ लोगों की संपत्ति की जांच शुरू कर दी है. ये लोग छह अलग-अलग जिलों के मूल निवासी हैं. गृह मंत्रालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर इन लोगों की संपत्ति का विस्तृत ब्योरा, खेसरा नंबर, नक्शा, फोटोग्राफ व राजस्व अभिलेख में इसकी अद्यतन स्थिति से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है. इसकी एक कॉपी गृह मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया गया है.
गृह मंत्रालय ने जिन आठ लोगों की संपत्ति का ब्योरा मांगा है, उनमें से दो मुजफ्फरपुर के मूल निवासी हैं. ये हैं, बीबी हुस्ने फातिमा उर्फ चांद बीबी व मो शरीफ पंजाबी. ये दोनों पाकिस्तान में जाकर बस गये थे. बीबी हुस्ने की चंदवारा और मो शरीफ पंजाबी की माड़ीपुर में अचल संपत्ति है. सरकार के पत्र के आलोक में अपर समाहर्ता डॉ रंगनाथ चौधरी ने मुशहरी सीओ नवीन भूषण को पत्र लिख कर दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है. गत वर्ष गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान या बांग्लादेश में बस चुके जिले के छह लोगों की अचल संपत्तियों के राजस्व अभिलेख को ‘कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रोपर्टी फॉर इंडिया’ के नाम स्थानांतरित कराने का आदेश दिया था. जम्मू कश्मीर को छोड़ कर अन्य राज्यों में जिलाधिकारी ही शत्रु संपत्ति के उप संरक्षक होते हैं. उनकी जिम्मेदारी है कि संरक्षित जमीन को अतिक्रमणमुक्त रखें. यदि कोई व्यक्ति उस संपत्ति का प्रयोग कर रहा है, तो उससे किराया वसूलें.
यह है शत्रु संपत्ति अध्यादेश
शत्रु संपत्ति अधिनियम को भारत सरकार ने 1968 में लागू किया था. इसके अंतर्गत शत्रु की संपत्ति को अभिरक्षण में रखने की सुविधा प्रदान की गयी थी. 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्ध के मद्देनजर भारत से पाकिस्तान के लिए लोगों ने पलायन किया था. भारत रक्षा अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये भारतीय रक्षा नियमों के तहत भारत सरकार ने ऐसे लोगों की संपत्तियों व कंपनियों को अपने अधिकार में ले लिया, जिन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी. 07 जनवरी, 2016 को इसमें संशोधन किया गया व इसे शत्रु संपत्ति (संशोधन अधिनियम व विधिमान्यकरण )अध्यादेश, 2016 नाम दिया गया. इसमें शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी कानून लागू होने का प्रावधान नहीं है. इसके तहत अभिरक्षक तब तक इस संपत्ति की सुरक्षा करेगा, जब तक अध्यादेश के तहत उसका निपटारा नहीं हो जाता.