तीन वर्ष बाद नवजात की हत्या की प्राथमिकी
मुजफ्फरपुर : गलत काम रोकने के लिए कानून बने हैं लेकिन अगर कानून की रक्षा करने वाले ही इसको ठेंगा दिखाएं तो लोगों को न्याय मिलना मुश्किल है. ऐसा ही एक मामला नगर थाना का है, जहां पुलिस ने एक नवजात की हत्या के मामले को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि के बाद भी तीन साल […]
मुजफ्फरपुर : गलत काम रोकने के लिए कानून बने हैं लेकिन अगर कानून की रक्षा करने वाले ही इसको ठेंगा दिखाएं तो लोगों को न्याय मिलना मुश्किल है. ऐसा ही एक मामला नगर थाना का है, जहां पुलिस ने एक नवजात की हत्या के मामले को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि के बाद भी तीन साल तक दबाए रखा. जांच अधिकारी के तबादले के बाद जब नए प्रभारी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखा तो इसकी जानकारी हुई. नगर थाना के इंसपेक्टर के निर्देश पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है. साथ ही इतने दिनों तक मामले को दबाकर रखने वाले दारोगा से भी जवाब मांगा गया है.
घटना एक मई 2014 की है. साहू रोड में प्रभात सिनेमा हॉल के पास कूड़े की ढेर में एक नवजात बच्ची का शव बरामद हुआ. नगर पुलिस को स्थानीय वार्ड पार्षद केपी पप्पू ने सूचित किया साथ ही उनके बयान पर इस मामले में यूडी कांड संख्या-71/14 दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए एसकेएमसीएच भेज दिया गया था. मामले का अनुसंधानक दारोगा कंचन भास्कर को बनाया गया था. शव का पोस्टमार्टम कर चिकित्सकों ने अनुसंधानक को रिपोर्ट भी दे दिया. रिपोर्ट में चिकित्सकों ने नवजात के मौत का कारण सिर में गंभीर चोट लगने के बाद अत्यधिक रक्तश्राव से होने की बात बतायी थी. साथ ही बच्ची को सड़क पर पटक कर मारे जाने या डंडे से सिर पर चोट की आशंका व्यक्त की गयी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के बाद भी दारोगा कंचन भास्कर ने इस मामले में कोई कार्रवाई करनी उचित नहीं समझी.
वरीय पदाधिकारियों ने भी इस मामले में कोई निर्देश नहीं दिया. हालात यह कि इस कांड को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इसी बीच उनका स्थानांतरण मुसहरी थाने में हो गया. वहां वे दो वर्षों तक थानाध्यक्ष रहें. इधर उनका इस जिले से तबादला हो गया है. इसके बाद उनके दबा कर रखे गये केस की का चार्ज देना उनकी विवशता हो गयी. पुराने केस का चार्ज देने वे नगर थाने पहुंचे और लंबित कांडों की फाइल नगर थानाध्यक्ष केपी सिंह को सौंप दी.
फाइलों के अवलोकन के दौरान उनकी नजर यूडीकांड संख्या-71/14 के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर पड़ी. इसका जब उन्होंने अवलोकन किया तो उसमें हत्या का साक्ष्य पाया.इसके बाद इस मामले को तीन वर्षों से दबाये बैठे कंचन भास्कर को फटकार लगायी. साथ ही मामले का पर्यवेक्षण कर इसमें हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया. इंस्पेक्टर के निर्देश के बाद नगर थाना पुलिस इस मामले में अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज गया. इसकी छानबीन की जिम्मेवारी दारोगा रामचंद्र पंडित को सौंपी गयी है.