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मुआवजा राशि पर रेलवे व जिला प्रशासन में विवाद

राज्य सरकार तक पहुंचा मामला मुजफ्फरपुर : छपरा-मुजफ्फरपुर नयी रेल लाइन के निर्माण के लिए जो जमीन किसानों से ली गयी है या ली जाने वाली है, उसके मुआवजा का दर क्या होगा, इसको लेकर पूर्व-मध्य रेलवे व जिला प्रशासन के बीच विवाद छिड़ गया है. मामला अब सरकार तक पहुंच गया है. डीएम धर्मेंद्र […]

राज्य सरकार तक

पहुंचा मामला
मुजफ्फरपुर : छपरा-मुजफ्फरपुर नयी रेल लाइन के निर्माण के लिए जो जमीन किसानों से ली गयी है या ली जाने वाली है, उसके मुआवजा का दर क्या होगा, इसको लेकर पूर्व-मध्य रेलवे व जिला प्रशासन के बीच विवाद छिड़ गया है. मामला अब सरकार तक पहुंच गया है.
डीएम धर्मेंद्र सिंह ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर रेलवे प्रबंधन से बकाया 31 करोड़ 98 लाख 83 हजार 215 रुपये दिलाने की मांग की है. यह 26 गांवों में अर्जित जमीन के एवज में किसानों को दी जाने वाली मुआवजा राशि का हिस्सा है, जिसका दखल-कब्जा रेलवे काे दिया जा चुका है.
पूर्व-मध्य रेलवे मुआवजा भुगतान में देरी के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार बताते हुए पूर्व में तय दर के हिसाब से ही राशि देने की बात पर अड़ी है. वहीं जिला प्रशासन ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उसका तर्क है कि 31 दिसंबर, 2013 तक न तो योजना का एस्टिमेट पास हुआ है, न ही पंचाट घोषित हुअा है. राज्य में एक जनवरी, 2014 से नयी नीति लागू हो चुकी है. ऐसे में रेलवे को उसी आधार पर मुआवजा का भुगतान करना होगा.
रेलवे को मिल चुकी है 26 गांवों की जमीन : छपरा-मुजफ्फरपुर नयी रेल लाइन के लिए जिले के 51 गांवों में 519.21 एकड़ जमीन का अर्जन होना है. रेलवे ने इस जमीन के अर्जन के लिए वर्ष 2007-08 में ही आवेदन दिया गया था. 26 गांव में 194.67 एकड़ जमीन का अर्जन कर वर्ष 2010 से 2012 के बीच तक रेलवे को उसका दखल-कब्जा भी दिया जा चुका है. प्रधान सचिव को लिखे पत्र में डीएम ने बताया कि रेलवे की अधियाचना को देखते हुए आपात प्रक्रिया के तहत अर्जन की अधिसूचना व अधिघोषणा प्रकाशित की गयी. तब कुल जमीन के अर्जन के लिए 54 करोड़ 52 लाख 67 हजार 180 रुपये का अनुमानित एस्टिमेट भी भेजा गया. लेकिन रेलवे ने महज 09 करोड़ 05 लाख 43 हजार 980 रुपये ही उपलब्ध कराये. इस राशि से जिन 26 गांवों में जमीन का अर्जन हुआ, वहां के किसानों को 80 प्रतिशत मुआवजा का भुगतान किया जा चुका है. नया दर लागू होने पर जिन 26 गांवों में जमीन का अर्जन हुआ है, उसका एस्टिमेट ही 41 करोड़ 04 लाख 27 हजार 195 रुपये हो जाता है. 24 गांवों में 324.54 एकड़ जमीन का अर्जन होना बाकी है.
रेलवे ने बताया है ‘गंभीर अनियमितता’
इससे पूर्व बीते माह पूर्व-मध्य रेलवे के उप मुख्य अभियंता निर्माण ने डीएम को पत्र लिख कर नयी नीति के तहत राशि देने से इनकार कर दिया था. उनका तर्क है कि रेलवे ने काफी पहले जमीन के अर्जन के लिए आवेदन दिया था. जिन 26 गांवों में जमीन का अर्जन किया गया है, उसका दखल-कब्जा नयी नीति लागू होने से पूर्व रेलवे को दिया जा चुका है. किसानों के बीच 80 प्रतिशत मुआवजा राशि भी बांट दी गयी है. फिर भी कई साल बाद भी भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी नहीं होना एक ‘गंभीर अनियमितता’ है. इसके लिए रेलवे की कोई जिम्मेदारी नहीं है. ऐसे में पुराने नीति के तहत ही मुआवजा का भुगतान किया जायेगा.

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