वेद लक्षणा गौ पालन से जुड़ें युवा, होगा कल्याण
मुजफ्फरपुर : दुनिया की कई अर्थव्यवस्था ध्वस्त हुईं हैं, लेकिन भारत इस संकट की चपेट में नहीं आया. इसके मूल में हमारी संस्कृति, प्रकृति और सामाजिक तानाबाना था. तब भारतीय अर्थव्यवस्था के केंद्र में वेद लक्षणा गौ थी. लेकिन 16 वीं शताब्दी यहां भैंस का आगमन अफ्रीका से हुआ. इसके बाद इस गोवंश का अपमान […]
मुजफ्फरपुर : दुनिया की कई अर्थव्यवस्था ध्वस्त हुईं हैं, लेकिन भारत इस संकट की चपेट में नहीं आया. इसके मूल में हमारी संस्कृति, प्रकृति और सामाजिक तानाबाना था. तब भारतीय अर्थव्यवस्था के केंद्र में वेद लक्षणा गौ थी. लेकिन 16 वीं शताब्दी यहां भैंस का आगमन अफ्रीका से हुआ.
इसके बाद इस गोवंश का अपमान और उपेक्षा शुरू हुई. इसका असर आज हमारी संस्कृति व अर्थव्यवस्था पर पड़ा. बीमारी, बेरोजगार, पर्यावरण संकट, जल संकट उत्पन्न हुआ. भारत के युवा वर्ग इस गोवंश की रक्षा व पालन में जुटेंगे, तो भारत का व्यक्ति-व्यक्ति तन-मन से रोगमुक्त होगा. पर्यावरण की रक्षा होगी. कृषि समृद्ध होगी. यह बातें बुधवार को भारत गोदर्शन यात्रा 2017 पर निकले श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा, राजस्थान के आदि संस्थापक स्वामी श्रीदत्तशरणानंदजी महाराज ने सिकंदरपुर स्थित बिहारी लाल जी टिकमानी के आवास पर प्रेसवार्ता में कही. वे सीतामढ़ी से गोरखपुर यात्रा के क्रम में मुजफ्फरपुर प्रवास पर पहुंचे थे.
उन्होंने कहा, वेद लक्षणा गौ में सिंधी, रेड सिंधी, राठी, काकरे, साहीवाल, थारपारकर, गीर, अंगोल प्रजाति शामिल हैं. वेदों की तथ्यों को आधार बनाकर देश के प्रमुख रिसर्च संस्थान इन प्रजाति के दूध, मूत्र व गोबर पर शोध करे. इन गोवंशों को गुणों के आधार पर उत्पादों का विकास करे. सरकार इन प्रजातियों की रक्षा करे, विकसित करे और उद्योग से जोड़ें, तो बेरोजगारी का संकट दूर होगा.
उन्होंने कहा, वेद लक्षणा गौ के दूध, गोबर व मूत्र से मानव शरीर आरोग्य को प्राप्त होता है. गोमूत्र से 126 प्रकार की बीमारियों का समूल नाश होता है. इसके सांस लेने व छोड़ने से वायु शुद्ध होता है. गौ जहां पानी पीती है, उस तालाब का पानी शुद्ध होकर अमृत बन जाता है. गाय के रोम स्पर्श से हवा भी शुद्ध होती है.
भूगर्भ व नदियों का जल विषैला हुआ है तो गोवंश की उपेक्षा के कारण. यह गाय जहां होती है रस व गंध दोनों शुद्धता को प्राप्त होते हैं. सूर्य की किरणें हमें ओज देती हैं. लेकिन अपवित्र चीजों को जलाने व प्रदूषण से ओजोन परत नष्ट हो रहा है. घी के हवन से ओजोन परत की मरम्मत होती है.
और धरती पर बारिश के रूप में मीठा जल का बरसता है. गाय के रंभाने से आकाश शुद्ध होता है. पर्वत की रक्षा भी गोवंश से होती है. इसलिए अपनी सनातन इंडस्टीज को
बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को बचाना है. गाय का दूध व इससे बने दही, घृत व छाछ में शरीर को आरोग्य बनाने की क्षमता है.
इस मौके पर रमेश चंद्र टिकमानी, सज्जन शर्मा, मांगी लाल पुरोहित, नवल किशोर सुरेका, राजू जी जालान, फतेहचंद्र चौधरी शामिल थे.