प्रॉपर्टी डीलर की साजिश का शिकार तो नहीं हुए दिलीप

मुजफ्फरपुर : खबड़ा गांव के प्रोपर्टी डीलर की हत्या कारोबारी प्रतिस्पर्धा में किये जाने की आशंका उनके परिजनों ने व्यक्त की है. घटना के दस दिन पूर्व एक प्रोपर्टी डीलर से हिसाब-किताब के लिए हुई पंचायती के बाद हुई इस हत्याकांड में लोग कारोबारी पार्टनर की साजिश होने का भी दावा कर रहे हैं. मृतक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2017 4:54 AM

मुजफ्फरपुर : खबड़ा गांव के प्रोपर्टी डीलर की हत्या कारोबारी प्रतिस्पर्धा में किये जाने की आशंका उनके परिजनों ने व्यक्त की है. घटना के दस दिन पूर्व एक प्रोपर्टी डीलर से हिसाब-किताब के लिए हुई पंचायती के बाद हुई इस हत्याकांड में लोग कारोबारी पार्टनर की साजिश होने का भी दावा कर रहे हैं. मृतक के भाई नवीन कुमार ने भी अपने बयान में ऐसी आशंका जतायी है. पुलिस पूरे मामले की छानबीन में लग गयी है. मिट्टी की ठेकेदारी से कारोबार शुरू करनेवाले दिलीप विगत कुछ वर्षों से प्रोपर्टी डीलर का काम भी शुरू कर दिया है. इस कारोबार में गांव से लेकर शहर तक उनके कई पार्टनर भी थे.

व्यवसाय को लेकर दिलीप पर लाखों रुपये का कर्ज भी था. साथ ही कारोबारी पार्टनर के पास भी उनका लाखों रुपया बकाया था. कारोबार में मुनाफा हुए पार्टनर के पास बकाया लाखों रुपये को लौटाने का वे दबाव भी बना रहें थे. इसको लेकर पार्टनरों से आंतरिक मतभेद की बात भी चर्चा में है. घटना के दस दिन पूर्व दिलीप और उनके एक कारोबारी पार्टनर के बीच बकाया रुपये को लेकर तकरार होने की बात भी बतायी जा रही है. मधौल गांव के उक्त जमीन कारोबारी के पास उनके दस लाख से भी अधिक रुपये बकाया होने की बात ग्रामीणों ने बतायी है. बकाया रुपये के वापसी के लिए उक्त प्रोपर्टी डीलर के साथ पंचायती भी हुई थी. पहले तो वह राशि बकाया होने से इनकार करता रहा. लेकिन पंचायती में जब इससे संबंधित कुछ कागजी सबूत पेश किये गये तो वह दस लाख रुपये बकाया होने की बात स्वीकार ली थी.

राशि लौटाने की समय सीमा भी तय हो गयी थी. इधर लगातार वे उक्त राशि को लौटाने का दबाव दे रहें थे. उनके एक ग्रामीण ने बताया कि गायब होने के एक-दो दिन पहले वे गांव में ही एक उपनयन समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. मोबाइल पर फोन आने के बाद वे एकाएक वहां से निकलने लगे. ग्रामीणों के पूछने पर वे उक्त प्रोपर्टी डीलर के यहां ही बकाया रुपये लाने जाने की बात कह वहां से निकल गये थे. हालांकि उस दिन उन्हें बकाया रुपया मिला या नहीं इसकी जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं है.

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