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कांटी थर्मल पावर में डिप्रेशन पर सेमिनार का आयोजन, डरें नहीं… झिझक मिटाएं

मुजफ्फरपुर : विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर शुक्रवार को कांटी थर्मल पावर में शुक्रवार को डिप्रेशन पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया. सभा का संचालन मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुष्मिता सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरे विश्व में ‘डिप्रेशन पर चलो बात करते […]

मुजफ्फरपुर : विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर शुक्रवार को कांटी थर्मल पावर में शुक्रवार को डिप्रेशन पर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया. सभा का संचालन मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुष्मिता सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन पूरे विश्व में ‘डिप्रेशन पर चलो बात करते हैं’ पर परिचर्चा व जागरूकता अभियान चलाया गया जो साल भर चलेगा.
इस मौके पर मनोरोग विशेषज्ञ व श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय के सह प्राध्यापक डॉ संजय कुमार ने लोगों से बात की.

उन्होंने कहा कि डिप्रेशन विश्व की सबसे बड़ी बीमारी है. सिर्फ भारत में ही इससे पांच करोड़ लोग पीड़ित हैं, जबकि 20 करोड़ लोगों को माइनर डिप्रेशन है. विश्व में सबसे ज्यादा आत्महत्या भारत में होती है, जो मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. दुनिया में हरेक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करते है. इस विकराल समस्या पर समाज में विस्तार से चर्चा की जरूरत है. अपने घर में, कार्यालय में, मोहल्ले में लोगों से बात करनी चाहिये.

उन्हाेंने कहा कि डिप्रेशन के मुख्य लक्षण मन की अत्यधिक उदासी व हताशा का होना, रुचि के काम में अरुचि होना, आत्मविश्वास की कमी होना, झुंझलाहट, बात बात में रोने जैसा लगना, अनिद्रा, बार-बार एक ही बात मन में आना, आत्महत्या की इच्छा आना हैं. पढ़े-लिखे लोग भी इस मामले में डॉक्टर से मिलने में झिझकते हैं. उन्हें नहीं लगता कि ये दिमागी बीमारी है… पागलपन व डिप्रेशन में अंतर है जिसे समझना होगा. नियमित व्यायाम, मॉर्निंग वाक, नशाबंदी, संतोष करने की प्रवृत्ति, संतुलित आहार से इससे बचा जा सकता है. दवा से इसका इलाज आसान है. इसके लिए आठ-दस महीने दवा खानी पड़ सकती है.
डिप्रेशन से प्रभावित होता है जीवन
विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर रेडक्राॅस सभागार इस वर्ष का थीम डिप्रेशन पर सेमिनार आयोजित किया गया. सचिव उदय शंकर प्रसाद सिंह ने कहा कि कहा कि डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है, जिसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं. यह कभी भी किसी एक कारण से नहीं होता. इसमें केमिकल, फिजिकल व साइकोलाॅजिकल कारण महत्वपूर्ण हैं. यह बहुत खतरनाक बीमारी है. यह जीवन के हर भाग को प्रभावित करती है. इस मौके पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राधेश्याम पांडेय, डॉ गाेविंद, डॉ दिनेश्वर सिंह ने भी अपने विचार रखे.

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