विनम्रता ही विद्वान की पहचान : स्वामी ओमकारानंद

मीनापुर : विश्व कल्याणार्थ यजुर्वेद परायण महायज्ञ के दूसरे दिन डेराचौक बाजार पर प्रवचन करते हुए हिमाचल प्रदेश के स्वामी ओमकारानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के आदर्शो को आज की भावी पीढ़ी को अपने अंदर उतारने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विन्रमता ही विद्वान की पहचान है. आर्य समाज भी यही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2017 5:12 AM

मीनापुर : विश्व कल्याणार्थ यजुर्वेद परायण महायज्ञ के दूसरे दिन डेराचौक बाजार पर प्रवचन करते हुए हिमाचल प्रदेश के स्वामी ओमकारानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के आदर्शो को आज की भावी पीढ़ी को अपने अंदर उतारने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विन्रमता ही विद्वान की पहचान है. आर्य समाज भी यही बात कहता है. उन्होंने कहा कि आर्य शब्द का अर्थ है श्रेष्ठ और प्रगतिशील. अतः आर्य समाज का अर्थ हुआ श्रेष्ठ और प्रगतिशीलों का समाज,

जो वेदों के अनुकूल चलने का प्रयास करते हैं. दूसरों को उस पर चलने को प्रेरित करते हैं. आर्यसमाजियों के आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम राम और योगिराज कृष्ण हैं. महर्षि दयानंद ने उसी वेद मत को फिर से स्थापित करने के लिए आर्य समाज की नींव रखी. आर्य समाज के सब सिद्धांत और नियम वेदों पर आधारित हैं. आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार फलित ज्योतिष, जादू-टोना, जन्मपत्री, श्राद्ध, तर्पण, व्रत, भूत-प्रेत, देवी जागरण, मूर्ति पूजा और तीर्थ यात्रा मनगढ़ंत हैं, वेद विरुद्ध हैं.

आर्य समाज सच्चे ईश्वर की पूजा करने को कहता है, यह ईश्वर वायु और आकाश की तरह सर्वव्यापी है, वह अवतार नहीं लेता, वह सब मनुष्यों को उनके कर्मानुसार फल देता है. सुबह मे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 20 यजमानों ने हवन यज्ञ मे भाग लिया. उसके पहले अहले सुबह योग शिविर का आयोजन किया गया. इसमे बेतिया गुरुकुल के 15 कन्याओं ने आसन्न व प्राणायाम सहित योग के गुरों के बारे में बताया. दिन भर चले भजनोपदेश कार्यक्रम में सुमन आर्या के अमृतवाणी ने लोगों का मन मोह लिया. उन्होंने यजुर्वेद में लोगों को कैसे जीवन जीना चाहिए, उसके बारे मे विस्तार से बताया. इस मौके पर पंडित कपिल शर्मा, डॉ व्यासनंदन शास्त्री, बेतिया के अशोकाचार्य, आचार्य भाष्कर व यज्ञ के आयोजक संजीव कुमार कुशवाहा ने भाग लिया.

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