खून के इंतजार में गयी जान
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में भरती पश्चमी चंपारण के मुर्तुजा अली की जान बच सकती थी, लेकिन उसकी मौत खून चढ़ने में देरी हाेने के कारण हो गयी. वह घंटों खून चढ़ने के इंतजार में बीमारी से लड़ता रहा, लेकिन समय पर खून नहीं िमलने से उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने जब इसका विरोध किया […]
मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में भरती पश्चमी चंपारण के मुर्तुजा अली की जान बच सकती थी, लेकिन उसकी मौत खून चढ़ने में देरी हाेने के कारण हो गयी. वह घंटों खून चढ़ने के इंतजार में बीमारी से लड़ता रहा, लेकिन समय पर खून नहीं िमलने से उसकी मौत हो गयी.
परिजनों ने जब इसका विरोध किया तो ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने उन्हें शांत कर डोनर द्वारा दिये गये खून की परची बना दी और उसे अगली बार खून लेने की बात कह दी.
कर्मचारियों के मनमानी का यह कोई पहला मामला नहीं है. अस्पताल प्रशासन भी सब कुछ जानकार अंजान बना हुआ है. परिजनों का कहना था कि डोनर के खून देने के करीब एक घंटे तक ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने मुर्तुजा को खून नहीं चढ़ाया. वह अपनी कागजी प्रक्रिया पूरी करने का हवाला देते रहे और इस बीच खून के इंतजार में मुर्तुजा ने दम तोड़ दिया.
अभी हम छुट्टी पर हैं. अगर इस तरह की घटना हुई है तो गंभीर बात है. घटना की जानकारी ली जायेगी और उस पर छानबीन भी की जायेगी.
डॉ पी सी वर्मा, एमओ, ब्लड बैंक , एसकेएमसीएच
मृतुजा तोड़ चुका था दम. एसकेएमसीएच में ब्लड बैंक के कर्मचारियों की मनमनानी नहीं थमी. इसका खामियाजा आए दिन मरीज व उनके परिजनों को उठाना पड़ता है. पश्चमि चंपारण के पहाड़पुर निवासी अनमुल हुसैन के 40 वर्षीय बेटे मुर्तुजा अली के पेट की आंत में इंफेक्शन हो गया था. इससे मुर्तुजा को एसकेएमसीएच में भर्ती किया गया था, जहां डाॅक्टर ने को तत्काल खून चढ़ाने की बात कही. परेशान परिजनों ने जैसे-तैसे रक्तदाता की खोज की. इसके बाद खून देने के लिए रक्तदाता शुक्रवार की रात एसकेएमसीएच के ब्लड बैंक पहुंचे, जहां ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने पूर्व में दी गयी रिपोर्ट की जांच का हवाला देकर डोनर को कुछ देर इंतजार करने को कहा. इसके बाद परिजनों का इंतजार मिनट से घंटों में बदलने लगा. घंटे भर बाद रक्तदाता का खून निकला गया. इसके बाद परिजन को कहा गया कि कर्मचारी अभी नहीं है, आने के बाद वह जाकर खून चढ़ा देगा. करीब दो घंटे के इंतजार के बाद जब रक्तदाता का खून लेकर कर्मचारी वार्ड में पहुंचे, तबतक मुर्तुजा की मौत हो चुकी थी.