मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन और कमिश्नरी थोड़ी देर के लिए ही सही एक बार फिर सौ साल पहले के दौर में लौट गया. वह दौर, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चंपारण जाना चाहते थे और मुजफ्फरपुर के तत्कालीन कमिश्नर से मिलने के लिएगये थे. गुरुवार को जिला कमिश्नर कार्यालय में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला. जहां गांधी जी भी पहुंचे और वहां कमिश्नर मोर्सहेडको से मुलाकात की. चंपारण शताब्दी समारोह को लेकर चल रहे कार्यक्रम के तहत आयुक्त कार्यालय में वर्तमान कमिश्नर केनेमप्लेट कोहटाया गया. दोबारा उसी दृश्य को नाट्य रूपांतरण के तहत दिखाया गया, जैसे 100 साल पहले घटित हुआ था.
तत्कालीन दृश्य आया सामने
आयुक्त कार्यालय में चश्मा लगाये हुए कमिश्नर मोर्सहेडको बैठे थे. सबसे पहले वहां कुछ अधिवक्ता पहुंचते हैं. कार्यालय में ब्रिटिश सरकार का ध्वज फहरा रहा है. आयुक्त के हाथों में तंबाकू का पाइप है और वह पूरी तरह विलेन के रूप में नजर आ रहे हैं. चंपारण जाने सेपहले 11 अप्रैल को विल्सन से मुलाकात के बाद 12 अप्रैल 1917 को गांधी जी ने गया बाबू के मार्फत प्रमंडलीय आयुक्त मोर्सहेडको को पत्र भेजा था. इस पत्र के माध्यम से उन्होंने आयुक्त से मिलने की अनुमति मांगी थी. पत्र मिलने के बाद आयुक्त ने उन्हें 13 अप्रैल को मिलने का समय दिया था. अब ठीक उसी दिन आज सौ साल बाद के उस दृश्य को दोहराया गया. देखिए गांधी और तत्कालीन अंग्रेज कमिश्नर की वार्ता.
गांधी और आयुक्त वार्ता
गांधी जी आयुक्त के दफ्तर में प्रवेश करते ही गुड मॉर्निंग कहते हैं और कमिश्नर को मिलने का समय देने के लिये धन्यवाद कहते हैं. उसके बाद होती है कमिश्नर और गांधी जी में वार्ता.
लोगों में उत्साह
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह को लेकर मुजफ्फरपुर में चल रहे इस नाट्य रूपांतरण कार्यक्रम को लोग काफी ध्यान से देख रहे हैं. कार्यक्रम को पूरी शिद्दत के साथ जिला प्रशासन मना रहा है, और गांधी के मुजफ्फरपुर के रास्ते होते हुए चंपारण को जाने के पूरे दृश्यों को नाट्य रूपांतरित कर बापू को याद किया जा रहा है.
वर्तमान आयुक्त हुएभावुक
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त ने मीडिया को बताया चंपारण सत्याग्रह का महत्व और तत्कालीन कमिश्नर के कठोर फैसले को-