मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में शुक्रवार को एआइसीटीइ की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची. इस दौरान मैथ विभाग में चल रहे एमसीए कोर्स से संबंधित आधारभूत संरचना को देखा. इस बीच छोटी लाइब्रेरी को देख कर छात्रों से पूछा कि आपलोग कैसे इसमें पढ़ाई करते होंगे. छात्रों को जब नेट कनेक्ट करने के लिए कहा […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में शुक्रवार को एआइसीटीइ की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची. इस दौरान मैथ विभाग में चल रहे एमसीए कोर्स से संबंधित आधारभूत संरचना को देखा. इस बीच छोटी लाइब्रेरी को देख कर छात्रों से पूछा कि आपलोग कैसे इसमें पढ़ाई करते होंगे. छात्रों को जब नेट कनेक्ट करने के लिए कहा गया, तो वे नेट नहीं कनेक्ट कर सके. इसके अलावा कोर्स का नाम तक बताने में छात्रों के पसीने छूट गये. एआइसीटीइ की टीम एमसीए कोर्स की मान्यता के लिए टीम पहुंची थी.
उधर, ऊपरी मंजिल पर पहुंच कर आसपास के बिल्डिंगों की वीडियोग्राॅफी व फोटोग्राफी करायी. इसके बाद स्मार्ट क्लास में छात्रों से बातचीत के दौरान कोर्स का नाम बताने में छात्र परेशान दिखे.
टीम ने एडिशन के बारे में जानकारी ली, तो बताया कि ओल्ड एडिशन (2007-08) की किताबों को पढ़ाया जाता है. छात्रों के सवाल पर टीम पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिखी. विवि में एमसीए कोर्स पिछले 10-12 सालों से चल रहा है, लेकिन अबतक कोर्स को एआइसीटीइ से मान्यता नहीं मिली है.
इएआइसीटीइ की टीम में एनआइटी कोलकाता से प्रो. सुकुमार चंद्र कुमार, एचबीटीयू कानपुर के बीके त्रिपाठी, चंडीगढ़ के नीरज अग्रवाल सहित मैथ विभाग के एचओडी शामिल थे.