बज्जिका रचनाओं पर रिसर्च करेगा गुरुनानक विवि
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पहल गुरु गोविंद सिंह की बज्जिका रचनाओं पर प्रभात खबर ने विशेष खबर की थी प्रकाशित
मुजफ्फरपुर : गुरु गोविंद सिंह की बज्जिका में प्रारंभिक रचनाओं की खोज के लिए अमृतसर की गुरुनानक यूनिवर्सिटी रिसर्च करेगी. यूनिवर्सिटी ने यह निर्णय 20 अप्रैल को प्रभात खबर में प्रकाशित स्टोरी को देख कर लिया है. रिसर्च का जिम्मा श्रीगुरुग्रंथ साहिब अध्ययन केंद्र को दिया गया है. इसके तहत बिहार की क्षेत्रीय भाषाओं सहित गुरुमुखी भाषा के विशेषज्ञों की टीम बनायी जायेगी.
यह टीम गुरु गोविंद सिंह की प्राप्त रचनाओं सहित उनकी गुरुमुखी में लिखी रचनाओं पर नये सिरे से रिसर्च करेगी. इसके तहत यह पता लगाया जायेगा कि गुरुगोविंद सिंह की अन्य रचनाओं में बज्जिका के कितने शब्द हैं व कहां-कहां उनका प्रयोग किया गया है. ये बातें यूनिवर्सिटी के श्रीगुरुग्रंथ साहिब अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर डॉ अमर सिंह ने कहीं. वे गुरु गोविंद
बज्जिका रचनाओं पर
के सामाजिक व सांस्कृतिक अध्ययनों पर रिसर्च कर रहे हैं. पंजाब से मुजफ्फरपुर पहुंचे डॉ अमर ने कहा कि शहर के योगेंद्र सिंह गंभीर ने प्रभात खबर में छपी खबर को यूनिवर्सिटी में भेजा था. हमलोगों ने इस पर चर्चा की. अब जल्द ही रिसर्च शुरू करेंगे.
दुर्लभ पुस्तकों का किया जा रहा डिजिटाइजेशन
गुरुनानक यूनिवर्सिटी गुरुग्रंथ साहिब सहित खालसा पंथ के अन्य दुर्लभ पुस्तकों का डिजिटाइजेशन करा रही है. डॉ अमर सिंह के नेतृत्व में आयी यूनिवर्सिटी की टीम ने बुधवार को कलमबाग गुरुद्वारा में गुरुगंथ साहिब के हर पन्ने की तसवीर ली. इससे पूर्व मंगलवार को मनियारी मठ में छह दुर्लभ पुस्तकों के पूरे पन्ने की तसवीर ली गयी.
डॉ अमर सिंह ने कहा कि हमलोग पूरे देश भर में घूम कर दुर्लभ पुस्तकों को इ बुक के तौर पर सुरक्षित कर रहे हैं. इसी क्रम में यूपी के सितारगंज, हुकुमनगर, लखनऊ, निजामाबाद व आजमगढ़ होते हुए यहां पहुुंचे हैं. सभी जगह गुरुद्वारों में जाकर दुर्लभ पुस्तकों के हर पन्ने की तसवीर ली गयी है. यहां से हमलोग यूपी के कुछ गुरुद्वारों में जायेंगे. फिर दिल्ली होते हुए पंजाब पहुंचेंगे. पुस्तकों के इ-बुक बनाने के क्रम में उत्तर बिहार गुरुद्वारा को-ऑर्डिनेटर कमेटी के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह गंभीर, अवतार सिंह सहित अन्य लोग मौजूद थे.