आेला से शाही लीची को भारी क्षति, आये काले दाग

50 प्रतिशत से अधिक लीची के खराब होने का अनुमान, आम भी हुआ बरबाद फट रही लीची, किसान हताश मुजफ्फरपुर : सोमवार की शाम पांच मिनट हुई ओला -बारिश ने किसानों के एक साल की मेहनत पर पानी फेर दिया है. ओला गिरने से वैसे तो सभी फसल को नुकसान हुआ है. लेकिन सबसे अधिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2017 4:26 AM

50 प्रतिशत से अधिक लीची के खराब होने का अनुमान, आम

भी हुआ बरबाद
फट रही लीची, किसान हताश
मुजफ्फरपुर : सोमवार की शाम पांच मिनट हुई ओला -बारिश ने किसानों के एक साल की मेहनत पर पानी फेर दिया है. ओला गिरने से वैसे तो सभी फसल को नुकसान हुआ है. लेकिन सबसे अधिक क्षति शाही लीची व आम को हुई है. क्षति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 50 प्रतिशत से अधिक लीची में काले दाग आ गये है. जो धूप लगने के साथ फट रहा है.
गुदा बाहर निकल रहा है. इसी तरह आम का फल भी स्ट्रोक लगने से काला व पीला पड़ गया है. आम भी डाल से गिर रहे है. बेहतर शाही लीची 20 मई के बाद बाजार में आता है. लेकिन ऐन वक्त पर ओला गिरने से लीची के बाजार को जबरदस्त झटका लगा है.
लीची उत्पादक निराश है. बड़े शहरों के लिए लीची का ऑर्डर ले चुके किसानों के लिए अच्छी क्वालिटी का लीची की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है. कांटी लीची क्लब के प्रमुख मुरलीधर शर्मा ने बताया कि ओला गिरने से लीची उत्पादक किसानों बड़ा झटका लगा है.दरअसल मॉल में लीची आपूर्ति के लिए (एनसीडीईएक्स) ने कांटी के सहबाजपुर गांव के लीची उत्पादकों को पंजीकृत किया है. जैविक लीची उत्पादन करने वाले कांटी स्थित सहबाजपुर किसान क्लब के किसान एनसीडीइएक्स के माध्यम से लीची मॉल में भेज रहे हैं.
22 मई से लीची मॉल भेजा जाना है. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गयी थी. किसानों के अनुसार ओला से चाइना लीची को कम नुकसान हुआ है. इसका छिलका मोटा होने से स्ट्रोक का असर कम हुआ है.
हालांकि दस प्रतिशत से अधिक लीची आंधी व ओला से झड़ गया है. सब्जी के नुकसान का जहां तक सवाल है, इसमें लत्तर वाली सब्जी नेनुआ, कद्दू , करेला व खीरा के लत्ती टूट गया है. इससे सब्जी की कीमत बढ़ने की संभावना है.
फसल बीमा के दायरे में नहीं है लीची व आम
लीची व आम को फसल बीमा में शामिल नहीं किया गया है. जबकि बीते तीन साल से किसान बीमा में शामिल कराने की मांग कर रहे हैं. 2015 में आंधी पानी से लीची के फसल बरबाद होने के बाद जिला उधान विभाग ने किसानों के मांग पर आम व लीची को बीमा में शामिल कराने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हुई.

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