मुजफ्फरपुर : बरकतों का पाक महीना रमजान रविवार से शुरू हो गया. पहले दिन मुसलिम समुदाय के लोगों ने अल्लाह के बनाये गये नियमों के अनुसार रोजा रखा. सुबह में सेहरी की. इसके बाद 15 घंटे तक भूखे-प्यासे रह कर रमजान का फर्ज अदा किया. रोजे का पहला दिन होने के कारण लोगों को काफी परेशानी हुई, लेकिन रोजे का नियम रख कर अल्लाह की इबादत की. पहले रोजे को अधिकतर लोग रात में जगे रह कर इबादत में डूबे रहे. शाम में सभी लोगों ने सामूहिक रूप से इफ्तार किया.
इसके बाद नमाज पढ़ी. रात में मसजिदों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर लोगों ने तरावीह पढ़ी. पहले रोजे के दिन कई मुहल्ले रोशन दिखे. शहर के पक्कीसराय, सतपुरा, मेहदी हसन चौक, ब्रह्मपुरा सहित कई जगहों पर देर रात तक चहल-पहल रही. सुबह सेहरी व इफ्तार के लिए लोगों ने खरीदारी की.
मसजिद से लेकर सार्वजनिक जगहों पर जुटे लोग
इबादत कर हासिल करें अल्लाह की रहमत
मौलाना एहतेशाम कहते हैं कि रमजान को दस-दस दिनों के तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला असरा रहमत का है. इस अशेर में खूब इबादत करना चाहिए. खुदा की सबसे ज्यादा रहमतें इसी अशरे में बरसती हैं. दूसरा अशरा मगफिरत का है व तीसरा निजात का है. इस महीन में एक नफिल का सवाब फर्ज के बराबर व फर्ज का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि रोजा हर मुसलमान पुरुष व महिला का फर्ज है. जो मुसलमान रोजा नहीं रखता, वह अल्ल्लाह की रहमत से महरूम रहता है. इस महीने में अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है. नेक काम करनेवाले मुसलमानों को नेकियों से मालामाल कर देता है. मौलाना ने कहा कि रमजान में पढ़ी जानेवाली तरावीह की 20 रकता इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूख के जमाने से है. इसमें पूरा कुरान पाक सुना जाता है.