या हुसैन की सदा से गूंजा इमामबाड़ा, अजादारों ने किया मातम

कर्बला के 72 शहीद के चेहल्लुम पर कमरा मुहल्ला से निकला जुलूस

By Prabhat Khabar News Desk | August 26, 2024 9:01 PM

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर इमाम हुसैन और उनके साथ कर्बला में शहीद होने वाले 72 शहीदों के चेहल्लुम पर सोमवार को शिया समुदाय ने नवाब मोहम्मद तकी खां वक्फ स्टेट के इमामबाड़ा से शहर का पुराना मरकजी जूलूस पुरी अकीदत के साथ निकाला. इसमें बड़ी संख्या में इमाम हुसैन के मानने वाले लोगों ने शिरकत की. शाम में बड़ा इमामबाड़ा नवाब मुहम्मद तकी खां वक्फ स्टेट का जुलूस रिवायती अंदाज में निकला, जिसमें अलम और ताबूत के अलावा जुलजनाह यानी घोड़े की जियारत करायी गयी. जुलूस गोला रोड, पंकज मार्केट, सरैयागंज, कंपनीबाग होता हुआ बड़ी कर्बला पहुंचा. जुलूस में शमिल आजादारों ने ब्लेड, जंजीर और तलवार से मातम किया. चेहल्लुम के मौके पर कमरा मुहल्ला के अलावा ब्रह्मपुरा, हसन चक बंगरा, पैगंबरपुर कोल्हुआ, भीखनपुर, मोहम्मदपुर मुबारक, भगवानपुर में भी मजलिस और जुलूस का आयोजन किया गया. शाम शहर भर के आजादार कमरा मुहल्ला के इमामबाड़ा से निकलने वाले जूलूस में शामिल हुए और इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी को याद किया. दिन में कमरा मुहल्ला के बड़ा इमामबाड़ा में अंजुमने हुसैनिया व इमामिया की ओर से एक मजलिस का आयोजन किया गया. मजलिस को मौलाना हैदर मेहदी ने खिताब किया. मजलिस के बाद इमामबाड़ा से मातमी जुलूस निकाला गया, जिसमें अलम और ताबूत के साथ शिया समुदाय के बच्चे, बूढ़े और जवानों ने या हुसैन या हुसैन की आवाज़ बुलंद कर नौहा और मातम किया. मातमी जुलूस बनारस बैंक चौक, नवाब रोड, लकड़ी ढाई होता हुआ बड़ा इमामबाड़ा पहुंचा. यहां पर अलविदा नौहा पढ़ा गया. फिर जियारते अरबइन पढ़ी गयी. जिसमें सभी लोग सम्मिलित हुए. दिन में ही ब्रह्मपुरा ने दरबारे हुसैनी से अंजुमने अब्बासिया की जानिब से रिवायती जुलूस बरामद किया गया, जिसमे शामिल आजादारो ने नौहा और मातम किया.

ऑल इंउिया अंजुमन तबलीगे इमाम हुसैन ने की मजलिस

ऑल इंडिया अंजुमन तबलीगे इमामे हुसैन की ओर से जलील हुसैन हाउस पर कर्बला वाले 72 शहीदों की याद में चेहल्लुम की मजलिस का आयोजन किया गया. इसे अंजुमन के सदर अली अब्बास आबदी ने बयान फरमाया. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने कुर्बानी पेश करके अपने नाना के दिन इस्लाम को कयामत तक के लिए जिंदा कर दिया है. जब तक दुनिया रहेगी, इमाम हुसैन को याद किया जाएगा.

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