वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
उत्तर बिहार में एइएस के केस बढ़ने लगे हैं. बुधवार को एसकेएमसीएच स्थित पीकू वार्ड में भर्ती एक और बच्ची में एइएस की पुष्टि हुई है. एइएस पीड़ित बच्ची सीतामढ़ी के विवेक पासवान की दो साल की बेटी संजना कुमारी है. एइएस के 11 बच्चे मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश दिये हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित इलाके में कैंप कर रही है. एइएस से एक और पीड़ित बच्चे के मिलने से इस बीमारी के तेजी से फैलने के संकेत मिल रहे हैं.शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि 12 मई को इलाज के लिए एसकेएमसीएच लाया गया. बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे पीकू वार्ड में भर्ती कर एइएस के प्राटोकॉल के तहत इलाज शुरू किया गया. इस दौरान उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया. रिपोर्ट में एइएस की पुष्टि हुई. अभी बच्चे की स्थिति सामान्य हाेने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि बीमार पड़ने पर अगर बच्चे को सही समय पर इलाज की सुविधा मिले तो उसकी जान बचायी जा सकती है.
जनवरी से अबतक 11 बच्चे एइएस के मिले हैं
जनवरी से लेकर अब तक 11केस एसकेएमसीएच में एइएस के मिले हैं. इसमें जिले के छह केस मिले हैं. जबकि सीतामढ़ी के 3 केस व शिवहर व वैशाली का एक-एक केस मिला है. जबकि इलाज के दौरान सभी बच्चे स्वस्थ होकर एसकेएमसीएच से अपने घर गये हैं. किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है.
क्या हैं लक्षण :
एइएस चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों को काफी तेज दर्द के साथ शरीर ऐंठने लगता है. उन्हें तेज बुखार आता है. कई बार तो बुखार इतना तेज होता है कि बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं. इससे पीड़ित मरीजों को कई बार उल्टी होती है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है. इलाज में देर होने पर बीमारी बढ़ जाए तो मरीज में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं. इसमें रोगी का दिमाग काम करना बंद कर देता है और वो भ्रम का शिकार भी हो जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है