बिना काम जनप्रतिनिधियों का नेम प्लेट लगाने पर निगम ने लगभग 20 लाख रुपये नाजायज खर्च किया
मुजफ्फरपुर.
नगर निगम क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों के नाम का लगे बोर्ड (नेम प्लेट) में एस्टिमेट घोटाले का आराेप लगाया गया है. मार्केट में जिस नेम प्लेट का अधिकतम रेट 05 से 08 हजार रुपये है, उस नेम प्लेट को नगर निगम ने 41 हजार से भी अधिक रुपये में लगाया है. बुधवार को पार्षद संजय केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका खुलासा किया. उन्होंने आराेप लगाया कि सारा खेल इंजीनियरों के द्वारा टेंडर से पूर्व बनाये गये एस्टिमेट में किया गया है, जिसकी जांच-पड़ताल किये बिना तत्कालीन नगर आयुक्त ने टेंडर के माध्यम से एजेंसी का चयन कर राशि का भुगतान भी कर दिया. उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. कहा कि कुल 51 नेम प्लेट शहर के सभी वार्डों एवं मेयर, उप मेयर के घर के पास लगा है. अधिकतर का प्लेट उखड़ गया है. इससे इसकी गुणवत्ता का भी पता चल रहा है. बताया कि सरकार से भी शिकायत की गयी है. कोई जवाब नहीं आया है. अगले निगम बोर्ड में इस मुद्दे को उठाएंगे. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है, तब सड़क पर उतर इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन होगा.दागी आउटसोर्सिंग एजेंसी को दोबारा टेंडर देने पर भी सवाल
संजय केजरीवाल ने नगर निगम में मानव बल उपलब्ध कराने के लिए बहाल आउटसोर्सिंग एजेंसी के ऊपर भी सवाल उठाया है. कहा कि जिस एजेंसी पर 12 लाख से अधिक रुपये वित्तीय घोटाला का खुलासा हुआ. ऑडिट रिपोर्ट के बाद घोटाले की राशि जमा करायी गयी. तत्कालीन नगर आयुक्त ने ब्लैकलिस्ट करने से पूर्व स्पष्टीकरण मांगा. फिर उनकी क्या मजबूरी हो गयी है कि किसके दबाव में आ गये, जो दोबारा कार्य विस्तार करने के साथ अगले साल के लिए टेंडर के माध्यम से वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया.पेंशन व सेवांत लाभ से रिटायर कर्मियों को क्यों किया जा रहा वंचित
पार्षद ने नगर आयुक्त से सवाल पूछा है कि निगम के जो रिटायर कर्मचारी हैं. उन्हें नियमित पेंशन क्यों नहीं मिल रहा है. सेवांत लाभ देने में भी गड़बड़ी की जा रही है. नगर आयुक्त खुद इसकी गहराई से जांच करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है