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नए सिरे से शुरू हुआ भूमि सर्वेक्षण, पुश्तैनी केवाला और खतियानी जमीन के कागजात की खोज तेज

जमीन के नये सिरे से शुरू होने वाले सर्वे के बीच पुराने रजिस्टर्ड दस्तावेज जैसे पुरखों के केवाला व खतियानी जमीन की डीड की खोजबीन तेज हो गई है. मुजफ्फरपुर रजिस्ट्री कार्यालय में हर दिन 100 से अधिक लोग खोजबीन करने पहुंच रहे हैं. इनमें वैशाली, सीतामढ़ी व शिवहर के भी लोग शामिल हैं.

Bihar Land Survey: जमीन का नये सिरे से शुरू हुए सर्वे (पैमाइश) के बीच मुजफ्फरपुर जिला रजिस्ट्री कार्यालय के रिकॉर्ड रूम (अभिलेखागार) में रखे गये पुरखों के केवाला और खतियानी जमीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज की खोजबीन बढ़ गयी है. अचानक रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों की खोजबीन के सर्टिफाइड कॉपी लेने वालों की भीड़ बढ़ने लगी है. ऐसे में रजिस्ट्री ऑफिस रोजाना 100-125 के बीच नये व पुराने दस्तावेजों की डिलीवरी (वितरण) कर रहा है.

इन जिलों से भी पहुंच रहे लोग

मुजफ्फरपुर के साथ-साथ सीतामढ़ी, शिवहर व वैशाली के भी लोग अपने पुरखों की खतियानी जमीन की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं. हालांकि, रिकॉर्ड रूम के अनुसार, सीतामढ़ी, शिवहर व वैशाली के पुराने लगभग सभी पठनीय रजिस्टर्ड दस्तावेज गृह जिले को भेज दिया गया है. ताकि, लोगों को लंबी दूरी तय कर मुजफ्फरपुर आने की बजाय अपने गृह जिले के रजिस्ट्री ऑफिस से ही दस्तावेज मिल सके.

दस्तावेजों की खोजबीन जारी है

अब तक मुजफ्फरपुर कार्यालय के रिकॉर्ड रूम से सीतामढ़ी, शिवहर व वैशाली के 11 रजिस्ट्री ऑफिस के दस्तावेज को भेजा गया है. इसमें वर्ष 1946 से लेकर 1978 और 1979 तक का दस्तावेज है. बाकी, बचे दस्तावेजों की खोजबीन करते हुए भेजने की कार्रवाई चल रही है.

73 साल पुराने जमीन रिकॉर्ड का किया जा रहा है डिजिटलाइजेशन

सरकार के आदेश पर वर्ष 1950 से लेकर अब तक के पुराने जमीन रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन रजिस्ट्री ऑफिस करा रहा है. इसी कड़ी में पुराने दस्तावेज को निकाल सभी जिले को भेज दिया गया है. दस्तावेज का डिजिटलाइजेशन होने के बाद लोगों को अपने पुरखों की संपत्ति सहित अन्य जानकारी प्राप्त करने में सहूलियत होगी. घर बैठे ऑनलाइन पुराने दस्तावेज की खोजबीन कर सकते हैं.

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2006 से रजिस्ट्री ऑफिस के पास उपलब्ध है कंप्यूटराइज्ड डॉक्यूमेंट

वर्ष 2006 से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया कंप्यूटराइज्ड हुई है. इसके बाद के सभी दस्तावेज तो भूमि पोर्टल पर उपलब्ध है. लेकिन, पुराने दस्तावेज की खोजबीन के लिए अभी भी लोगों को चिरकुट फाइल करना पड़ता है. इसके लिए सरकार से शुल्क तय है. बता दें कि अब तक विभाग के आदेश पर 1995 से 2006 तक के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन किया गया है. इससे पहले के दस्तावेज की खोजबीन करते हुए एजेंसी डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया में जुटी है.

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