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किशोरियों की मौत मामला : कोर्ट के आदेश के बाद भी डीएनए सैंपल लेने में विलंब पर आक्रोश

किशोरियों की मौत मामला : कोर्ट के आदेश के बाद भी डीएनए सैंपल लेने में विलंब पर आक्रोश

By Prabhat Khabar News Desk | July 3, 2024 12:42 AM

-एक सप्ताह पहले कोर्ट से मिली थी स्वीकृति, पुलिस की सुस्ती के कारण परिजनों का बढ़ रहा आक्रोश -13 मई को घर से निकलने के बाद 26 मई को मथुरा में ट्रैक से बरामद किया था तीनों किशोरियों का शव मुजफ्फरपुर. मथुरा में रेलवे ट्रैक पर माही, गौरी व माया की मौत मामले में तीनों के पिता के डीएनए टेस्ट कराने को लेकर कोर्ट से जारी आदेश के बाद भी पुलिस सुस्त पड़ी हुई है. एसकेएमसीएच प्रशासन को पत्र लिख कर आश्वास्त हो गयी है. मंगलवार तक डीएनए सैंपल लेने की तिथि तय नहीं होने से परिजनों में आक्रोश है. पिछले ही सप्ताह सीजेएम कोर्ट से तीनों बच्चियों के पिता का डीएनए सैंपल लेने काे स्वीकृति मिल गयी थी. पुलिस की सुस्ती के कारण बच्चियों के अभिभावकों का पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है. उन्होंने कहा है कि एक तो पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने में लापरवाही बरती जिस कारण बच्चियों को बचाया नहीं जा सका. वहीं अब कोर्ट के आदेश के एक सप्ताह बाद भी पुलिस अबतक डीएनए सैंपल नहीं ले सकी है. ऐसे में बच्चियों को कबतक न्याय मिलेगा इस सवाल को लेकर अभिभावक परेशान हैं. उन्होंने कहा है कि दोषी पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. बता दें कि पिछले ही सप्ताह में सीजेएम कोर्ट में दिए गए पुलिस की अर्जी पर प्रभारी सीजेएम ने सुनवाई के बाद आदिश दिया था कि तीनों बच्चियों के डीएनए सैंपल का नमूना लिया जाए. नमूना को जांच के लिए पटना एफएसएल भेजा जाएगा. मथुरा में मिले तीनों किशोरियों के शव का भी डीएन नमूना लिया गया था. शवों के डीएनए से उसके पिता के डीएनए की जांच करा मिलान कराया जाएगा. माही के पिता बालूघाट निवासी मनोज सहनी, गौरी के पिता योगियामठ निवासी अमित रजक और माया के पिता राजेश रजक का नमूना लिया जाना है. 13 मई को घर से निकली थी किशोरियां, मथुरा में मिला था शव : नगर थाना क्षेत्र के योगियामठ और बालूघाट की रहने वाली तीनों किशोरियां 13 मई को मुजफ्फरपुर से ट्रेन से निकली थी. उनके घर से पत्र भी मिला था. इसमें लिखा था कि उन्हें खोजने की कोशिश की गयी तो वे अपनी जान दे देगी. उनके गायब होने के बाद उनके परिजनों ने कई दिनों तक थाने का चक्कर लगाया, लेकिन उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. जब बच्चियों का शव मिला उससे तीन-चार दिन पहले प्राथमिकी दर्ज हुई. इसके बाद शव का सत्यापन करने के लिए पुलिस की टीम और बच्चियों के परिजन वहां गये थे. शव की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उसका पहचान कर पाना मुश्किल था. हालांकि, बैग और ड्रेस से आशंका जतायी गयी कि बच्चियां मुजफ्फरपुर से गायब हुई थीं वही हैं. इसके बाद परिजनों ने उनके डीएनए जांच की मांग की थी. पुलिस टीम को मथुरा से नहीं मिला साक्ष्य : पुलिस की टीम ने लंबे समय तक मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए मथुरा व अन्य शहरों में भी छानबीन की, लेकिन टीम को घटना से जुड़ा कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला. बच्चियां किसके बुलावे पर वहां तक गयी थीं और वहां एक सप्ताह तक कहां रहीं. इसके बाद अचानक ट्रेन के सामने कैसे आ गयीं और उनके हाथ पर मिले मेंहदी व लिखे टेक्स्ट की गुत्थी पुलिस अबतक नहीं सुलझा पायी है.

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