एंटीबायोटिक्स के रेजिस्टेंस से हर नौ मिनट पर एक नवजात की मौत
एंटीबायोटिक्स के रेजिस्टेंस से हर नौ मिनट पर एक नवजात की मौत
एसकेएमसी में माइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर सेमिनार मुजफ्फरपुर. इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की अध्यक्ष डॉ नम्रता कुमारी ने कहा कि एंटीबायोटिक्स के रेजिस्टेंस से हर नौ मिनट पर एक नवजात की मौत हो जाती है. 2015 में हुए एक सर्वे के अनुसार 58 हजार से अधिक बच्चों की मृत्यु एंटी बायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से हुई थी. यह हर साल बढ़ती जा रही है. चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा एंटी बायोटिक का सेवन होता है. 2010 में 1250 करोड़ एंटी बायोटिक गोलियों का सेवन भारत में किया गया था. श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय में इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रो बायोलॉजिस्ट बिहार चैप्टर, एसकेएमसीएच व होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र ने एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर सेमिनार का आयोजन किया. कार्यक्रम की शुरुआत एसकेएमसीएच की प्राचार्या डॉ आभा रानी सिन्हा ने दीप जला कर किया. उन्होंने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. जिसे रोक तो नहीं सकते, पर उसका नियंत्रण हमारे हाथों में है. एंटीबायोटिक का सही उपयोग, सही परामर्श व सही नीतियों से आने वाली पीढ़ियों को इसके दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं. 200 से अधिक डॉक्टरों ने दिखायी भागीदारी डॉ भारतेंदु कुमार ने कहा कि डॉक्टर, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, नर्सिंग स्टाफ व चिकित्साकर्मी के सहयोग से ही हम एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस को अपने स्तर से रोकथाम कर सकते हैं. सेमिनार में 200 से अधिक डॉक्टर बिहार के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों से शामिल हुए. आयोजन में एचबीसीएचआरसी के मुजफ्फरपुर के प्रभारी डॉ रविकांत सिंह व डॉ प्रियंका नारायण का अहम योगदान रहा. डॉ प्रियंका ने कहा कि हम सभी स्वास्थ्य विभाग व एचबीसीएचआरसी के सहयोग से इस तरह के सेमिनार सूबे के विभिन्न शहरों में आयोजित करेंगे. इस मौके पर डॉ प्रीति चौधरी, बिबेकानंद भोई, आयुष भारद्वाज, ऋतिक, विवेक व विभिन्न मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधि उपस्थित थे. आसानी से ठीक होने वाला संक्रमण अब है जानलेवा डॉ नम्रता ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल दवाएं वरदान हैं. यह हर साल करोड़ों लोगों का जीवन बचाती हैं, लेकिन इसकी जरूरत से ज्यादा सेवन व बिना डॉक्टर की सलाह या गैर जरूरी इस्तेमाल के कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस विकसित हो रहा है. इसकी वजह से संक्रमण से होने वाले बीमारियों के लिए उपलब्ध एंटी बायोटिक्स में रेजिस्टेंस विकसित कर रही है. यह गंभीर स्थिति है. पहले आसानी से ठीक होने वाले संक्रमण भी जानेलेवा साबित हो रहे हैं.