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सड़कों पर उड़ रहे धूल से अस्थमा रोगियों की फूल रही सांसें

सड़कों पर उड़ रहे धूल से अस्थमा रोगियों की फूल रही सांसें

ओपीडी में हर दिन 35-40 मरीज इलाज कराने पहुंच रहे वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर अब सड़कों से उड़ रही धूल जिले में सांस के मरीज को बढ़ा रहे हैं. धूल के इंफेक्शन के चलते लोगों में सांस की तकलीफे बढ़ रही है. अस्थमा रोगियों की सांसें फूलने लगी है. धूल से वातावरण दूषित होने लगा है. चिकित्सक ऐसे लोगों को मुंह पर मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलने और आवश्यकता पड़ने पर इनहेलर का प्रयोग करने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि प्रत्येक वर्ष निमोनिया टीकाकरण कराने से ऐसे लोगों के फेफड़ों में होने वाले संक्रमण को रोका जा सकता है. अस्थमा सांस से जुड़ी बीमारी है, इसमें मरीज को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है. इस बीमारी से सांस की नली में सूजन या पतलापन आ जाता है. चिकित्सक डॉ सी के दास कहते हैं कि लक्षणों के आधार पर अस्थमा दो तरह का होता है. इनमें बाहरी और आंतरिक शामिल है. बाहरी अस्थमा परागकणों, पशुओं, धूल, गंदगी, कॉकरोच आदि के कारण हो सकता है, जबकि आंतरिक अस्थमा कुछ केमिकल्स शरीर के अंदर जाने से होता है. इसकी वजह प्रदूषण, सिगरेट का धुआं, धूल आदि हैं. ओपीडी में प्रतिदिन आ रहे 34-40 मरीज सदर अस्पताल के फिजीशियन बताते हैं कि धूल से अस्थमा रोगियों की मुश्किलें बढ़ने लगी है. ऐसे में अस्थमा रोगियों को धूल वाले क्षेत्रों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए और मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए, जिससे वातावरण में उड़ने वाली धूल सांस के जरिये फेफड़ों तक नहीं पहुंचे और रोगी संक्रमित नहीं हो. अस्पताल की ओपीडी में इस प्रकार के प्रतिदिन करीब 34-40 रोगी आ रहे हैं.

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