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आज रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा चांद, पति के दीर्घायु होने की होगी कामना

इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा. पुरोहितों के अनुसार यह शुभ है. व्रतियों की कामना पूरी होगी.

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर इस बार करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा. पुरोहितों के अनुसार यह शुभ है. व्रतियों की कामना पूरी होगी. चांद निकलने का समय शाम 7.57 मिनट पर है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम शाम 7.57 से रात्रि 8.45 तक रहेगा. पं. प्रभात मिश्रा ने कहा कि सुहागिनों द्वारा पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जानेवाला महापर्व करवा चौथ इस बार कई अच्छे संयोग में आ रहा है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पूजन इस बार रोहिणी नक्षत्र में होगा. वहीं गुरु वृष राशि में है और रविवार का दिन होने की वजह से भी व्रती महिलाओं को गणेश भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा. खास तौर पर सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देने वाला होगा. इस दिन मां पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय व गणेश सहित शिव परिवार का पूजन किया जाता है. मां पार्वती से सुहागिन अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. करवे में जल भरकर कथा सुनी जाती है. व्रती सुबह सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं. करवा चौथ पर करवा माता की कथा प्रचलित करवा चौथ व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं. एक दिन उनके पति नदी में स्नान करने गए. स्नान के समय मगरमच्छ ने देवी करवा के पति का पैर पकड़ लिया और वह उन्हें नदी में खींचने लगा. मदद के लिए पति अपनी पत्नी करवा को पुकारने लगे. पति की दर्द भरी पुकार सुनकर करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं. पति की रक्षा के लिए करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ एक कच्चे धागे में ही इस तरह से बंध गया था कि वह हिल नहीं पा रहा था, लेकिन अभी भी करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे. तब करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति के लिए जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की प्रार्थना की. करवा के कहने पर यमराज पधारे और उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की अब आयु पूरी हो चुकी है. इस बात पर करवा को क्रोध आ गया और वह बोली यदि आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दूंगी. करवा के क्रोध को देखकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया. कहते हैं करवा चौथ के व्रत में सुहागन महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को बचाया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना. पुराणों में भी करवा व्रत की कथाएं पुराणों के अनुसार देवी अनुसुईया के द्वारा चलायी गयी कर्क चौथ व्रत की परंपरा आज के समय में करवा चौथ व्रत के नाम से जाना जाता है. तब देवी अनुसुइया ने सुंदर और सुशील पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखा था. स्कंद पुराण के कुमारिका खंड में इस व्रत का उल्लेख मिलता है. उस समय इस व्रत को कर्क व्रत के रूप में जाना गया, लेकिन, कालांतर में इसका नाम करवा चौथ व्रत पड़ गया है.

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