– आर्थिक अपराध इकाई पटना ने निर्देश किया जारी- तीन तरीके से इ-सिम धारक को कर सकते हैं ट्रैप
मुजफ्फरपुर.
डिजिटलाइजेशन के इस दौर हर व्यक्ति खुद को डिजिटली स्मार्ट बनाने में जुटा हुआ है. उनकी लाइफस्टाइल का अभिन्न हिस्सा मोबाइल व इंटरनेट है. इसी कड़ी में इ सिम (एंबेडेड सिम) के इस्तेमाल करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इ सिम तकनीक सिर्फ मोबाइल तक ही सीमित नहीं रहा है. यह आईओटी डिवाइसेस में भी इस्तेमाल हो रहा है. स्मार्ट वॉच, स्मार्ट होम डिवाइसेस, कनेक्ट कोर्स व अन्य कई स्मार्ट उपकरणों में इ सिम की मदद से इन डिवाइसेस को रिमोटली मॉनीटर व कंट्रोल किया जा सकता है. ऐसे में इ-सिम का इस्तेमाल करने के दौरान सावधानी बरतें, नहीं तो साइबर अपराधी आपको शिकार बना सकते हैं. इ-सिम तकनीक डिजिटली होती है. साइबर अपराधी इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. आर्थिक अपराध इकाई पटना ने लोगों से इ-सिम के इस्तेमाल में किस तरह सावधानी बरतें, इसको लेकर जागरूकता पोस्टर भी जारी किया है.इन तरीकों से साइबर अपराधी बना सकते हैं शिकार :
– सिम स्वैप फ्रॉड :
यह इ सिम फ्रॉड का सबसे आम तरीका है. इस प्रक्रिया में अपराधी अपने नाम से मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर से संपर्क करके यह दावा करता है कि वह आप ही है. वह फर्जी पहचान पत्र इसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल करके आपके मोबाइल नंबर को अपने डिवाइस पर इ सिम के रूप में एक्टिवेट कर लेता है. एक बार ऐसा होने के बाद आपके मोबाइल का नेटवर्क चला जाएगा. साइबर अपराधी आपके नंबर का इस्तेमाल करके ओटीपी या कॉल्स रिसीव कर सकता है. –फिशिंग अटैक
साइबर अपराधी नकली इमेल या मैसेज भेजकर आपको धोखे में डाल सकते हैं. इन संदेश में आपको अपनी पर्सनल जानकारी भरने को कहा जाता है. जैसे कि पासवर्ड, ओटीपी या इ सिम का एक्टिवेशन डाटा आदि. अगर आप इन जानकारियों को साझा करते हैं तो साइबर अपराधी आपके इ-सिम को अपने फोन पर एक्टिव कर सकते हैं. वहां से आपके अकाउंट का दुरुपयोग होगा.– क्यूआर कोड ::
इ-सिम एक्टिव करने के लिए खास क्यूआर कोड की जरूरत होती है. अगर आपका क्यूआर कोड किसी फ्रॉड के हाथ लग जाएगा तो वह आपके इ-सिम को अपने डिवाइस में एक्टिव कर सकता है. इस तरह आपके मोबाइल का सिग्नल एक्सेस कर अपने निजी डाटा का दुरुपयोग कर सकता है.क्या है इ-सिम
इ-सिम को एंबेडेड सिम भी कहा जाता है. यह एक नई डिजिटल सिम तकनीक है. जो पारंपरिक फिजिकल सिम कार्ड की जगह लेती है. यह डिवाइस में पहले से ही इंटीग्रेटेड होती है. आपको बाहर से डालने या निकालने की कोई जरूरत नहीं होगी. इ-सिम तकनीक मुख्यत: मोबाइल, स्मार्ट वॉच और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे डिवाइस में इस्तेमाल किया जाता है. इ-सिम को रिमोटली एक्टिव व डिएक्टिव किया जा सकता है. इसमें एक साथ कई टूल्स और प्रोफाइल्स भी एक्टिव किया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है