benefits and side effects of litchi, small children died due to chamki fever बिहार में हर वर्ष जून-जुलाई से शुरू हो जाता बच्चों की मौत का सिलसिला. दुखद बात यह है कि इसमें लीची फल को दोषी बताया जाता है. जहां दुनिया कोरोना से मौत के साये में जी रही है. वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर में अभी से ही लोग चमकी बुखार को लेकर भी सहमे हुए होंगे.
ज्ञात हो कि हाल ही में यूनिसेफ ने बच्चों को लेकर एक चेतावनी दी थी. अपने रिर्पोट में कहा था कि लॉकडाउन के वजह से बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था और कोरोना के कारण प्रतिदिन छह हजार बच्चों की दुनियाभर में मौत होने की संभावना है. जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था वाले देश हो सकते हैं. आपको बता दें कि इस सूची में भारत भी शामिल है.
ऐसे में बिहार और देश के लिए चिंता का विषय यह है कि एक तो कोरोना उपर से दोबारा लीची का मौसम आ गया है. आपको बता दें कि हर वर्ष कि भांति वर्ष 2019 में भी चमकी बुखार से करीब 650 बच्चे प्रभावित हुए थे. जिसमें कुल 161 बच्चों की मौत हो गयी थी. यह आंकड़ें 1 जून से 20 सितंबर की है.
जून 2019 में, बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में बड़ी तीव्रता से चमकी बुखार यानी एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का प्रकोप फैला था. जिसके परिणामस्वरूप 160 से अधिक बच्चों की मौत हो गयी थी.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह बीमारी हर वर्ष महामारी के रूप में आती है. इसका सबसे पहला मामला मुजफ्फरपुर जिले में 1995 में दर्ज किया गया था. जिसके बाद 2013 में 143 मौतें, 2014 में 355, 2015 में 11, 2016 में चार, 2017 में 11, 2018 में 7 जबकि 2019 में 161 मौतें हुईं थी.
दुर्भाग्य की बात यह है कि अभी तक इस बीमारी का ईलाज संभव नहीं हो पाया है. यह भी नहीं पता चल पाया है कि यह बीमारी होता किस वजह से है. कुछ लोग इसे कुपोषण, तो कुछ जलवायु परिवर्त्तन, कुछ स्वच्छता का अभाव, कुछ अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं तो कुछ जागरूकता की कमी बताते हैं.
वहीं, लीची के लिए प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर शहर के लोगों का मानना है कि इस फल में विषाक्त पदार्थ होने के वजह से इससे बच्चों की मौत हो जाती है. डीडब्ल्यू में छपी रिर्पोट के मुताबिक लीची में मौजूद कुछ केमिकल के कारण 15 साल से कम उम्र के बच्चों के दिमाग में सूजन बढ़ जाता है जिससे उसकी मौत हो जाती है. हालांकि, इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पायी है और यह शोध का विषय है.
बावजूद इसके वर्ष 2019 में बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने एहतियात के तौर पर अभिभावकों को खाली पेट बच्चों को लीची नहीं खिलाने की सलाह दी थी.
– इसमें मौजूद बीटा कैरोटीन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और फोलेट इम्यूनिटी करती है मजबूत
– इसमें मौजूद फाइबर हमारे पाचन क्रिया को दुरूस्त करती हैं. जिससे दस्त, उल्टी और पेट खराब जैसी समस्या से निजात मिलता है. इसके अलावा यह वजन कम करने में भी सहायक है.
– गर्मी में होने वाला यह फल हमारे मन को तरोताजा रखता है. यह हमारे शरीर में पानी की कमी दूर करती है
– इसमें मौजूद पॉटेशियम और सोडियम हमारे नसों में रक्त संचार बढ़ाता है. जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है
– लीची हड्डियों की बीमारी रोकने में कारगार है
– इसमें कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं. यह हमारे शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने नहीं देता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.