किसानों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्रतिनिधि, मुशहरी बिहार लीची का प्रमुख उत्पादक राज्य है. यहां लीची उत्पादक जिलों में लीची के पुराने एवं अनुत्पादक बागों की संख्या अधिक है, जिस कारण गुणवत्तापूर्ण लीची का उत्पादन नहीं हो पाता है. इससे किसानों की आमदनी भी प्रभावित होती है. इस बात को ध्यान में रखकर प्रशिक्षण में पुराने एवं अनुत्पादक बागों को किस तरह से पुनर्जीवित कर अधिक उत्पादन वाला बाग बनाया जाये, इसकी जानकारी वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अभय कुमार ने किसानों को दी़ कार्यक्रम राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी द्वारा आयोजित एवं बामेती पटना द्वारा प्रायोजित था. प्रशिक्षण में तकनीकी जानकारी दी गयी. बागों की कटाई-छंटाई, रोग प्रबंधन, जल प्रबंधन एवं उर्वरक उपयोग जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी गयी. वहीं लीची उत्पादन में उपयोगी आधुनिक उपकरण और जैविक विधियों के उपयोग के बारे में बताया गया. तीन दिवसीय प्रशिक्षण में कुल 20 किसानों ने भाग लिया, जिसमे मुजफ्फरपुर से एटीएम रौशनी सिंह व प्रगति शील किसान वीरचंद सिंह, मधुबनी से एटीएम मधुमिता, किसान शंकर किशोर सिंह, समस्तीपुर से एटीएम मो सज्जाद आलम, किसान अभय कुमार, सीवान से एटीएम कृतिका शाही, किसान गंगा सागर कुशवाहा, बेगूसराय से एटीएम मुकुल कुमार, किसान श्रीकृष्ण चौधरी, मोतिहारी से बीटीएम जितेन्द्र कुमार भास्कर, किसान राजकिशोर सिंह, वैशाली से एटीएम प्रकाश चंद्रा, किसान अशोक कुमार आर्य, सीतामढ़ी से एटीएम सुरेश कुमार सहनी, किसान उमेश साह ने भाग लिया. प्रशिक्षण के समन्वयक के रूप में केंद्र के वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार रहे. समापन समारोह पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया गया. इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ प्रभात कुमार, इंजीनियर अंकित कुमार, डॉ इप्सिता सामल, वरिष्ठ तकनीकी सहायक उपज्ञा साह, प्रोजेक्ट सहायक श्याम पंडित एवं धर्मदेव भारती भी मौजूद थे.
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