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Bihar: मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में कोर्ट से चार अफसरों समेत सात पर वारंट, 17 को सुनवाई

Bihar: मुजफ्फरपुर के चर्चित बालिका गृह कांड की सुनवाई कर रहे कोर्ट ने चार पदाधिकारी समेत सात लोगों के खिलाफ वारंट जारी किया है. ये सभी सरकारी कर्मी इस मामले में गवाही देने से भाग रहे हैं.

Bihar: पटना. मुजफ्फरपुर के चर्चित बालिका गृह कांड से जुड़े अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नेवाली हैं. इस मामले में गवाही देने से बच रहे चार अधिकारियों समेत सात लोगों के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया है. विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने तत्कालीन महिला थानेदार ज्योति कुमारी, आभा रानी, आईओ कलावती देवी, तत्कालीन जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा, साहू रोड निवासी हर्षकुमार, मुन्ना कुमार और रामबाग चौरी मोहल्ला निवासी गुलाम रसूल के खिलाफ जमानतीय वारंट का आदेश दिया है. विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने वारंट जारी करते हुए अगली सुनवाई पर सभी को तलब किया है. अब इस मामले में अभियोजन साक्ष्य पर सुनवाई के लिए 17 मई की तिथि तय की गई है. उस दिन अगर ये गवाह कोर्ट में गवाही के लिए हाजिर नहीं हुए तो आगे की कार्रवाई की जाएगी.

महज एक थानेदार ने अब तक दी है गवाही

अभियोजन साक्ष्य के तहत गवाहों का कोर्ट में बयान दर्ज किया जाना है. अब तक केवल एक तत्कालीन थानेदार नीरू कुमारी ने अपनी गवाही कोर्ट में दर्ज कराई है. नीरू ने ही इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. आरोपित ब्रजेश ठाकुर अभी बालिका गृह कांड में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. 2018 के जून में बालिका गृह कांड के खुलासे के बाद प्रशासन ने ब्रजेश ठाकुर की एनजीओ से संचालित अन्य बालगृहों की भी जांच कराई थी. ब्रजेश की एनजीओ ही सुधार गृह का भी संचालन कर रही थी. ब्रजेश ठाकुर समेत कई लोगों के खिलाफ इन मामलों में चार्जशीट दाखिल की गयी है, लेकिन चार्जशीट करनेवाले गवाही देने नहीं आ रहे हैं. ऐसे में ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ गवाही नहीं देनेवाले अधिकारियों की नियत पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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11 महिलाएं व चार बच्चों का नहीं मिला सुराग

विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार सुधार गृह में सरकारी खर्च पर रह रहीं 11 महिलाएं और उनके चार बच्चों का कहीं कोई अता-पता नहीं चला. इसके बाद जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा ने महिला थाने में अपहरण की धारा में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसकी जांच के बाद ब्रजेश ठाकुर, साइस्ता परवीन व अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई. इधर, बालिका गृह में रह रही 34 बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला 2018 में तब सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज की रिसर्च टीम ऑडिट करने बालिका गृह पहुंची थी. इस मामले में 30 जुलाई को महिला थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई और अनुसंधान भी हुआ, लेकिन अधिकारी गवाही देने नहीं आ रहे हैं.

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