Bihar Crime: बिहार में 3 साल के बच्चे की चाकू घोंप आंत निकली, घर में छिपा मिला हत्यारा

Bihar Crime: साहिल के साथ खेल रहे बच्चों ने शोर मचाया तो लोग जुट गए. पिता शंकर दास व परिजन उसे सदर अस्पताल ले गए. वहां से उसे एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

By Ashish Jha | September 25, 2024 10:03 AM

Bihar Crime: मुजफ्फरपुर. बिहार में के मुजफ्फरपुर जिले में एक तीन साल के बच्चे की निर्मम हत्या कर दी गई है. जिले के दिघरा में दरवाजे पर खेल रहे तीन साल के साहिल कुमार के पेट में विजय झा (25) ने चाकू घोंप दी. जैसे ही आरोपी ने मासूम साहिल के पेट में चाकू मारा उसकी आंत बाहर निकल आई. इलाज के दौरान एसकेएमसीएच में उसकी मौत हो गई. घटना के बाद पुलिस ने दिघरा दास टोले में छापेमारी कर आरोपी पवन झा के पुत्र विजय झा को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस चाकू को भी जब्त कर लिया, जिससे हत्या की गई है.

हत्या के पीछे का कारण अब तक पता नहीं

बताया जाता है कि साहिल के साथ खेल रहे बच्चों ने शोर मचाया तो लोग जुट गए. पिता शंकर दास व परिजन उसे सदर अस्पताल ले गए. वहां से उसे एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. एसडीपीओ विनीता सिन्हा ने बताया कि लोगों का कहना है कि विजय झा स्मैकिया है. पहले भी वह मोहल्ले के लोगों पर हमला कर चुका है. साहिल की हत्या के पीछे का कारण अब तक पता नहीं चल पाया है. उसने घटना को क्यों अंजाम दिया है, इस बारे में पूछताछ होगी.

बच्चे को चाकू मारकर घर में जा छिपा हत्यारा

ग्रामीणों ने सदर थाना पुलिस को बताया कि साहिल समेत तीन-चार बच्चे पवन झा के दरवाजे पर खेल रहे थे. विजय झा घर से हाथ में चाकू लेकर निकला और साहिल पर वार कर दिया. पेट में चाकू लगने से लहूलुहान साहिल घटनास्थल पर ही गिर गया. चाकू मारने के बाद विजय झा अपने घर में जाकर छिप गया था. बच्चे के पिता शंकर दास के बयान पर आरोपित विजय झा के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई है.

डॉक्टर का इंतजार करती रही मां

चाकू लगने से गंभीर हुए तीन साल के साहिल के इलाज के दौरान एसकेएमसीएच में अव्यवस्था भी नजर आई. साहिल को करीब तीन बजे चाकू लगी और उसे पौने चार बजे सदर अस्पताल लेकर परिजन पहुंचे. वहां चिकित्सक ने पेट पर पट्टी बांधकर स्लाइन लगा दिया और एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. करीब पांच बजे बच्चे को लेकर परिजन एसकेएमसीएच पहुंचे. यहां इमर्जेंसी में बेड पर साहिल लेटा हुआ रहा और मां स्लाइन हाथ में पकड़े हुई डॉक्टर का इंतजार करती रही.

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….तो मेरा बेटा बच जाता

एसकेएमसीएच में पेड्रियाटिक सर्जन नहीं है. एकमात्र सर्जन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में है. चिकित्सक के इंतजार में समय बीत गया. अंत में सामान्य सर्जनों ने ही इलाज शुरू किया. बच्चे को ओटी में ले जाया गया, लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी. साहिल बेटे की मौत के बाद रूपा ने कहा कि यदि अस्पताल ने गंभीरता शुरुआत में दिखाई होती तो बेटा बच जाता.

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