बंदरा : बाढ़ की त्रासदी ने इस बार लोगों को घर से दूर पांच फीट की पॉलीथिन शीट में रहने को मजबूर कर दिया है. एक तरफ बूढ़ी गंडक तो दूसरी तरफ बागमती ने अधिकांश पंचायतों के गांवों को अपने चपेट में ले रखा है.
बड़गांव के बिरजू सहनी, राजकुमार पासवान बताते हैं कि मन क्षेत्र में घर होने के कारण सियार, सांप से परेशान हैं. वे खुद कभी नाव पर तो कभी बांध पर रह रहे हैं. घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने पर लोग ऊंचे स्थान पर टेंट बना कर पिछले 15 दिनों से रह रहे हैं. उनके सामने खाने-पीने से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने तक की समस्या खड़ी है.
पानी की तबाही ने ऐसा मंजर दिखाया है कि एक साथ कई समस्याओं ने जन्म ले लिया है. फसल व पशु को खो कर बाढ़ पीड़ित टूट से गये हैं. सिमरा, रामपुरमहिनाथ, बड़गांव, करैला आदि गांवों के लोग जिनका घर पानी में डूब गया है, वे अपना सब कुछ गवां कर बांध पर शरण लिये हुए हैं. हत्था, मुन्नी-बैंगरी, पटसरा, मतलुपुर, बंदरा के बाढ़ पीड़ितों ने ऊंचे स्थानों पर तंबू गाड़ कर शरण ले रखा है.
सिमरा की लक्ष्मी देवी, सुनीता देवी कहती हैं कि बांध पर शरण तो लिए हैं, लेकिन दिन में बारिश तो कभी तेज धूप और रात में खुले आसमान के नीचे रहने का दर्द काटना बहुत मुश्किल हो गया है. रघुवीर सहनी, अजय सहनी कहते हैं कि फसलों के साथ सब्जी को भी बाढ़ ने बर्बाद कर दिया.
posted by ashish jha