Bihar: पहली बार लीची अनुसंधान केंद्र के यूनिट में होगी आम की प्रोसेसिंग, उद्योग निदेशालय ने दी मंजूरी
Bihar: मुजफ्फरपुर के लीची अनुसंधान केंद्र में इस साल से आम की भी प्रोसेसिंग होगी. आम को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिये यह किया जायेगा. बिहार के आम पर इस बार हॉट वाटर ट्रीटमेंट का प्रयोग किया जायेगा. साथ ही आम के छिलके पर लगने वाली बीमारी से सुरक्षित भी किया जा सकेगा.
Bihar: मुजफ्फरपुर. आम को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिये इस बार हॉट वाटर ट्रीटमेंट का प्रयोग किया जायेगा. साथ ही आम के छिलके पर लगने वाली बीमारी से सुरक्षित भी किया जा सकेगा. इसके लिये पहली बार मुशहरी के लीची अनुसंधान केंद्र में बने भाभा रिसर्च सेंटर में आम उत्पादक आम भेजेंगे. इसके अलावा बिहटा के भाभा रिसर्च सेंटर में भी हॉट वाटर ट्रीटमेंट के लिये आम भेजा जायेगा. इस प्रोसेस के बाद आम को देश के विभिन्न प्रदेशों सहित दूसरे देशों में भेजा जायेगा. इसके लिये उद्योग निदेशालय, खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय ने अपनी सहमति दी है. आम से पहले रिसर्च सेंटर में केमिकल के जरिये लीची को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिये प्रोसेसिंग किया जायेगा. पिछले सीजन मे दूसरे देशों में यहां से मालदह आम की मांग बहुत अधिक थी, जिसे यहां के किसान पूरा नहीं कर पाये. कुछ आम बाहर गये तो उसे अधिक दिनों तक सुरक्षित नहीं रखा जा सका. इसको लेकर आम उत्पादक किसान परेशानी में थे, लेकिन इस बार उद्योग निदेशालय की सहमति से उनकी उम्मीद बढ़ गयी है.
एक लाख टन आम की होगी सप्लाइ
पिछले साल 25 हजार टन आम ही बाहर जा सका था, बाहर की कई एजेंसियों ने यहां के आम उत्पादक से संपर्क किया था, लेकिन आम को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और कूलिंग वैन के जरिये भेजने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पायी थी, इस बार अप्रैल से ही एजेंसियां मुजफ्फरपुर का दौरा कर रही है और आम उत्पादकों से मिल कर आम की खरीदारी के लिये बात कर रही है. इस बार आम उत्पादकों ने एक लाख टन आम बाहर भेजने की योजना बनायी है. लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह और और आम उत्पादक बबलू शाही ने कहा कि जिले में लीची का उत्पादन एक लाख टन और आम का डेढ़ लाख टन होता है. पिछली बार प्रयोग के तौर पर खाड़ी देशों में यहां का आम भेजा गया था, जो वहां के लोगों को काफी पसंद आया. इस बार आम की डिमांड काफी है. उम्मीद है कि हमलोग यहां से डेढ़ लाख टन आम की आपूर्ति करेंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
लीची अनुसंधान केंद्र में लीची को लंबे समय तक सुरक्षित रखने लिये भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर बना है. यहां पहली बार आम को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के साथ छिलके पर किसी तरह की बीमारी हो तो उसे साफ करने के लिए इस विधि का उपयोग किया जायेगा. इससे आम उत्पादकों को आसानी होगी. वे यहां से आम का ट्रीटमेंट कर उसे बाहर भेजा जायेगा
-विकास दास, निदेशक, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र