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यूबीजीबी में लोन देने में गड़बड़ी की पूर्व ऑडिटर के परिवाद पर हुई है प्राथमिकी
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मामले में वादी और आरोपित दोनों का बयान दर्ज करेगी पुलिस
मुजफ्फरपुर. उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 10 करोड़ से अधिक के लोन-देने के मामले की जांच शुरू हो गयी है. गुरुवार को केस के आइओ दारोगा संजीव कुमार दूबे ने बैंक के पूर्व ऑडिटर से ऑडिट रिपोर्ट मांगी. उसी के आधार पर उन्होंने बैंक में गबन होने की बात कही है. इसके अलावे अन्य साक्ष्य जैसे धमकी आदि से संबंधित भी साक्ष्य देने को कहा है.
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में 10 करोड़ से अधिक के लोन देने के मामले में पूर्व ऑडिटर नवनीत कुमार ने आठ अधिकारियों के खिलाफ बुधवार को काजीमहम्मदपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें पूर्व चेयरमैन इंद्रमोहन उतरेजा, महाप्रबंधक महेंद्र कुमार, मुख्य प्रबंधक कार्मिक रमेश कुमार, मुख्य प्रबंधक राजन कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय प्रबंधक रियाजुद्दीन अहमद, अनूप कुमार झा, क्षेत्रीय अधिकारी रमेश कुमार मिश्रा, बीएम रोहित राज समेत आठ को नामजद किया था.
थानेदार सत्येंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि केस के आइओ को कई बिंदुओं पर निर्देश दिया गया है. इसमें घटना से जुड़ी कागजातों को लेने, वादी के साथ आरोपितों का बयान दर्ज करने का निर्देश दिया है. ऑडिट रिपोर्ट मिलने का इंतजार किया जा रहा है. उसके अध्ययन के बाद पुलिस आगे की प्रक्रिया करेगी.
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हथौड़ी. थाना क्षेत्र के महुली गांव में गुरुवार को माइक्रो फाइनेंस बैंक कैमुना क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के मैनेजर मिथिलेश सिंह को लोगों ने बंधक बना लिया. सूचना पर पहुंची हथौड़ी थाने पुलिस ने बंधक बने दोनों कर्मी को मुक्त करा पुलिस जीप में बैठा कर थाने ले जाना चाही. इसका ग्रामीणों ने विरोध कर शुरू दिया. इसी बीच भीड़ में शामिल असमाजिक तत्वों ने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया. लाठी-डंडे से लैस हमलावरों ने थानेदार समेत अन्य पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी भी की. इस घटना में थानेदार समेत चार पुलिसकर्मी चोटिल हो गये.
माहौल बिगड़ने के बाद अतिरिक्त फोर्स को बुलाया गया तो सभी हमलावर मौके से फरार हो गये. पुलिस हमला करनेवालों में से एक को गिरफ्तार किया है. अन्य की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है. इधर, ग्रामीणों का आरोप है कि निजी बैंक के मैनेजर मिथिलेश सिंह ने सोसाइटी के नाम पर सैकड़ों ग्रामीणों से लाखों रुपये उसमें इनवेस्ट कराया है, लेकिन मैचुरिटी होने पर उसे वापस नहीं किया जा रहा है. दो साल से लोग सोसाइटी के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कुछ नहीं मिल रहा है.
बताया जाता है कि सुरेंद्र शाह निजी बैंक में एजेंट के रूप में काम करता है. इस कारण लोग एजेंट पर भी पैसा रिफंड कराने का दबाव बना रहे थे. इसको लेकर एक बैठक होने वाली थी. लोगों ने आरोप लगाया कि मिथिलेश सिंह कई महीने से झूठ बोल रहा है. इससे लोग थक हार कर पैसा रिफंड कराने के लिए दबाव बना रहे थे. इसी दौरान मैनेजर के पहुंचने के बाद दोनों को भीड़ ने बंधक बना लिया.